राजीव दीक्षित : जिसका दावा था कि वह देश को फिर बना सकता है सोने की चिड़िया
– स्वदेशी और आयुर्वेद का सबसे बड़ा संभावित ब्रांड राजीव दीक्षित की आज ही जयंती और पुण्यतिथि भी, साथी पर लगते रहे हत्या के आरोप
PEN POINT, DEHRADUN : आज बाबा रामदेव देश दुनिया में खुद को स्वदेशी और आयुर्वेद का सबसे बड़ा ब्रांड बताते हैं। बीते सालों में आयुर्वेद और स्वदेशी के नाम पर उनकी कंपनी ने जो मुनाफा कमाया है उससे इस बात की तस्दीक भी होती है। लेकिन, एक और व्यक्ति था यदि 13 साल पहले उसकी संदिग्ध अवस्था में मौत न हुई होती तो यह तय था कि वह आज देश दुनिया में स्वदेशी और आयुर्वेद का इतना बड़ा ब्रांड बनता कि उसकी छाया में शायद ही रामदेव इतना बड़ा मुकाम हासिल कर पाते।
स्वदेशी, आयुर्वेद, राष्ट्रवाद का अपने व्याख्यानों में जमकर उपयोग करने वाले राजीव दीक्षित की आज जयंती और पुण्यतिथि भी है। यूं तो उनको गुजरे हुए 13 साल होने को है लेकिन राष्ट्रवाद, आयुर्वेद, स्वदेशी, भ्रष्टाचार, विदेशी शासन पर उनके व्याख्यानों के वीडियो आज भी खूब देखे और शेयर किए जाते हैं।
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में 30 नवंबर, 1967 को राजीव दीक्षित का जन्म हुआ था। पिता का नाम था राधेश्याम दीक्षित और मां थी मिथिलेश कुमारी। हालांकि, उनकी शिक्षा के बारे में दावे के साथ कुछ नहीं कहा जा सकता है लेकिन उनके समर्थकों और खुद उनके कई वीडियो में दिए बयानों के आधार पर कहा जा सकता है कि उन्होंने पहले इलाहाबाद से बीटेक और उसके बाद आईआईटी कानपुर से एमटके, यानि इंजीनियरिंग की उच्च शिक्षा। हालांकि, उनकी शिक्षा के बारे में कई लोग इस दावे को सिरे से खारिज करते हैं कि उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की या फिर आईआईटी कानपुर से एमटेक किया। खैर, राजीव दीक्षित खुद को सबसे बड़ा देेशभक्त बताते थे और इसके लिए उन्होंने अपने ही तय नियम बताए थे।
भारत में मौजूदा शिक्षा व्यवस्था, स्वास्थ्य व्यवस्था, न्याय व्यवस्था की राजीव दीक्षित जमकर आलोचना करते थे। बकौल राजीव भारत में शिक्षा, न्याय, स्वास्थ्य व्यवस्थाएं पश्चिमी देशों के अनुसरण करने वाले हैं और भारतीयता के खिलाफ है। वह भारत की मौजूदा शिक्षा व्यवस्था को मैकाले की देन बताते हुए इसे बदलकर गुरूकल व्यवस्था बनाने की वकालत किया करते थे। जबकि, अस्पतालों में ऐलोपैथी उपचार को वह विदेशी साजिश बताते थे। उनका दावा था कि महंगी दवाओं और अस्पतालों में एैलोपेथी उपचार पर खर्च होने वाला धन विदेश में जाता जबकि अस्पतालों में आयुर्वेद से उपचार किया जाना चाहिए। राजीव दीक्षित के वीडियो से गुजरे तो शायद ही कोई ऐसा विषय हो जिस पर उन्होंने विशेषज्ञ बनकर राय न दी है जिसमें ज्यादातर पश्चिमी देशों की आलोचना और विदेशी कंपनियों द्वारा भारत को लूटने की योजना शामिल था। पश्चिमी देशों पर इस कदर बरसते कि उनका दावा था कि साल 1984 में भोपाल गैस-त्रासदी अमेरिका द्वारा भारत में गरीब लोगों पर किया गया एक केमिकल परीक्षण था। वह अमेरिका में 9/11 के हमले को को भी अमेरिका द्वारा ही प्रायोजित बताया करते थे। विदेशी कंपनियों के बहिष्कार के इर्दगिर्द ही उनका ज्यादातर व्याख्यान होता था। राजीव दीक्षित दावा किया करते थे कि कोका कोला में जहर होता है जबकि मैगी बनाने वाली नैस्ले कंपनी सुअर का मांस और चर्बी मिलाई जाती है, वह बताते थे कि अमिताभ बच्चन ने उन्हें बताया कि पेप्सी पीने से अमिताभ की आंतें खराब हो गई थी और उन्हें ऑपरेशन करवाना पड़ा। हालांकि, उस दौर में कोई सोशल मीडिया तो था नहीं लिहाजा अमिताभ बच्चन की ओर से इस दावे पर कभी कोई प्रतिक्रिया भी नहीं दी गई। स्वदेशी को लेकर राजीव दीक्षित के दावे इतने बड़े और अजीब थे कि वह बताते थे कि गाय के गोबर से बने साबुन से नहाने से शरीर से खूशबू आने लगती है। राजीव दीक्षित तो यह तक दावा करते थे कि गाय के गोबर से ईंधन बनता है और अगर देश में गाय का संरक्षण किया जाए तो देश गाय के गोबर से ईंधन बनाकर ईंधन आपूर्ति में आत्मनिर्भर बन सकता है।
बताया जाता है कि साल 2009 में राजीव दीक्षित और रामदेव बाबा एक दूसरे के संपर्क में आए। स्वदेशी, भ्रष्टाचार, काले धन पर साझा विचार के चलते दोनों एक साथ काम करने को तैयार हुए। दावा किया जाता है कि राजीव दीक्षित और बाबा रामदेव ने ही मिलकर भारत स्वाभिमान आंदोलन शुरू किया था। 2009 में शुरू इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य भारतीय राजनीति का शुद्धिकरण करना बताया जाता था। इस आंदोलन को शुरू करने के पीछे राजीव और रामदेव ने योजना बनाई कि लोगों को अपने साथ जोड़ने के बाद 2014 में वो देश के सामने अच्छे लोगों की एक नई पार्टी का विकल्प रखेंगे और लोकसभा चुनाव में दावेदारी पेश करेंगे। इसके बाद दोनों ही धार्मिक चैनल पर साथ आने लगे, रामदेव योग सीखाते और रामदेव के योग के साथ राजीव दीक्षित स्वदेशी, राष्ट्रवाद, भ्रष्टाचार, पश्चिमी देशों की साजिश, भारत के समृद्ध इतिहास की बाते करतें। हालांकि, इस दौरान अपने व्याख्यानों की बदौलत राजीव दीक्षित खूब प्रसिद्धि पाने लगे थे। राजीव समर्थक दावा करते हैं कि रामदेव राजीव दीक्षित की लोकप्रियता से घराबनाने लगे थे और उन्होंने राजीव दीक्षित के खिलाफ षडयंत्र रचने शुरू किए। अपने 44वें जन्मदिन के दिन ही राजीव दीक्षित मौत हो गई। इस दौरान वह छत्तीसगढ़ दौरे पर थे, जहां उन्होंने अलग-अलग जगहों पर व्याख्यान देने थे। 26 से 29 नवंबर तक अलग-अलग जगह व्याख्यानों के बाद जब 30 को वो भिलाई पहुंचे, तो वहां उनकी तबीयत खराब हो गई। दिल का दौरान पड़ने के बाद उन्हें स्थानीय सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया लेकिन हालत खराब होने पर अपोलो अस्पताल पहुंचाया गया जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
मौत पर विवाद
20 सालों से कभी बीमार न होने का दावा करने वाले राजीव दीक्षित की मौत पर अब तक विवाद पसरा हुआ है। राजीव समर्थक बाबा रामदेव पर राजीव दीक्षित की हत्या का आरोप लगाते हैं। जिसे रामदेव नकार चुके हैं। हालांकि, बीते साल केंद्र सरकार ने राजीव दीक्षित की मौत के मामले में फिर से जांच फिर से शुरू करने की कार्रवाई शुरू की थी। 30 नवंबर 2010 को जब राजीव दीक्षित को दिल का दौरा पड़ा तो उनके साथ मौजूद डॉक्टरों की माने तो राजीव दीक्षित एलोपैथी उपचार के लिए मना कर रहे थे। राजीव के समर्थक दावा करते रहे हैं कि मौत के बाद राजीव का शरीर नीला पड़ गया था। जिससे शक गहराने लगा कि जैसे उन्हें जहर दिया गया था। समर्थक राजीव के शव का पोस्टमार्टम करवाने की मांग करने लगे लेकिन उनकी मांग को नकार कर छत्तीसगढ़ से उनका शव उनके गृह नगर लेकर जाने की बजाए हरिद्वार में रामदेव के पतंजलि आश्रम ले जाया गया और जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया।