पेपर लीक : नाकाम तंत्र का खामियाजा भुगत रहे लाखों बेरोजगार
उत्तराखंड समेत गुजरात, राजस्थान और बिहार में दो महीने में साढे़ छह हजार पदों के लिए आयोजित परीक्षाओं के पेपर लीक, 26 लाख से अधिक युवाओं को लगा झटका
पंकज कुशवाल, देहरादून। बेरोजगारी की मार झेल रहे देश में यूं तो नौकरी पाना आसान नहीं है लेकिन सरकारी नौकरियों की राह देखते हुए दिन रात तैयारियों में जुटे लाखों बेरोजगार युवाओं के लिए बेरोजगारी के साथ ही परीक्षा आयोजित करने वाले तंत्र की लापरवाही भी मुश्किलें खड़ी कर रही है। इन दो महीनों में ही देश के विभिन्न राज्यों में हजारों पदों के लिए आयोजित होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं के दौरान पेपर लीक होने से बेरोजगार युवाओं को झटका लगा है तो नौकरी की चाह रखने वाले मेहनती बेरोजगार युवाओं की उम्मीदों पर भी पानी फिरने लगा है।
ताजा मामला गुजरात में आया सामने
रविवार को गुजरात में पंचायत जूनियर क्लर्क के लिए 3350 पदों पर भर्ती के आयोजित परीक्षा के लिए राज्य भर के अलग अलग परीक्षा केंद्रों पर 17 लाख से अधिक बेरोजगार युवा परीक्षा देने पहुंचे थे। परीक्षा शुरू होती उससे पहले ही प्रशासन ने एलान किया कि परीक्षा का पेपर लीक होने के कारण परीक्षाएं फिलहाल स्थगित की जाती है। दिन रात मेहनत कर सैकड़ों किमी की सफर पूरा कर परीक्षा केंद्र पहुंचे बेरोजगार युवाओं के लिए यह किसी बड़े झटके से कम नहीं था। आंखों में आंसू लिए युवा अपनी किस्मत और प्रशासन को कोसते हुए घरों को लौटने लगे। कई जगहों पर युवाओं ने हंगामा भी काटा लेकिन सामने आई धांधली के बाद परीक्षा को स्थगित करना ही प्रशासन के बाद इकलौता विकल्प था।
नौकरियों में धांधली से जूझ रहे उत्तराखंड के युवा
इसी तरह की घटना इसी महीने 8 जनवरी को उत्तराखंड भी देखी गई। प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधली के चलते कई महीनों से अटकी लेखपाल के पदों 536 पदों के लिए राज्य के विभिन्न परीक्षा केंद्रों पर 8 जनवरी को आयोजित परीक्षा में 1 लाख 58 हजार 210 युवाओं ने परीक्षा दी। परीक्षा के दो दिन बाद पुलिस ने खुलासा किया कि लेखपाल परीक्षा का पेपर परीक्षा आयोजन से काफी पहले लीक हो चुका था और कई युवाओं को यह पेपर उंची कीमत पर उपलब्ध करवाया गया। लिहाजा, प्रशासन ने लेखपाल की परीक्षा स्थगित कर नई तिथि घोषित कर दी। लाखों युवाओं को भारी आर्थिक व मानसिक आघात से गुजरना पड़ा। इससे पूर्व 22 दिसंबर को बिहार में भी बिहार कर्मचारी चयन आयोग की 2187 पदों के लिए स्नातक स्तरीय परीक्षा का आयोजन किया गया। परीक्षा में 9 लाख अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया। लेकिन, परीक्षा के दौरान ही पेपर इंटरनेट पर लीक कर दिया गया। प्रशासन ने परीक्षा स्थगित कर दी। आठ साल बाद आयोजित परीक्षा के स्थगित होने पर युवाओं का गुस्सा भी भड़क उठा। लिहाजा, गुस्साए युवाओं पर पुलिस को बल प्रयोग भी करना पड़ा।
राजस्थान में भी नकल माफिया का ग्रहण
वहीं, इस घटना के दो हफ्ते पहले 6 दिसंबर 2022 को राजस्थान में राजस्थान कर्मचारी चयन आयोग की जूनियर इंजीनियर के 533 पदों के लिए परीक्षा का आयोजन किया गया। परीक्षा देने 31752 पहुंचे। परीक्षा केंद्र पर पहुंचने के बाद पता चला कि परीक्षा का पेपर भी धांधली की भेंट चढ़ चुका है। कोरोना संकट के बाद विभिन्न राज्यों में कई सालों के बाद विशेष भर्ती अभियान चलाकर बेरोजगार युवाओं का सरकारी नौकरी पाने का सपना पूरा होता दिख रहा था तो नकल माफियाओं ने ग्रहण लगा दिया। परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था, कोचिंग सेंटरों के संचालकों और नौकरी माफियाओं के इस गठजोड़ का खामियाजा बेरोजगार युवाओं को उठाना पड़ रहा है। तंत्र के भीतर ही घुन की तरह लगे नकल माफिया देश के उन करोड़ों बेरोजगार युवाओं के सपनों के खिलवाड़ कर रहे हैं जो बेहद विषम परिस्थितियों में किसी तरह गुजारा कर खुद को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों में झोंके हुए है।