शोध: युवाओं को मानसिक दबाव से उबारने में कारगर है इमोशनल इंटेलीजेंस
Pen Point, Dehradun : शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल रही है। शिक्षा का पूरा तंत्र और इसके बीच विकसित प्रणाली से छात्र भारी दबाव का सामना कर रहे हैं। इस प्रतिस्पर्धी माहौल का नतीजा तनाव और चिंता और अवसाद की स्थिति हो सकती है। लेकिन इमोशनल इंटेलीजेसी यानी भावनात्मक बुद्धिमत्ता के जरिए इन चुनौतियों का सामना किया जा सकता है। भारत में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भावनात्मक बुद्धिमत्ता का उपयोग युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर क्या असर डाल सकता है? देहरादून के ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय की शोधार्थी शिखा राणा ने इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश की है।
शोधार्थी ने आईएमएस यूनिसन विश्वविद्यालय के साथ मिलकर उत्तराखंड के विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्रों पर यह अध्ययन किया। जिसमें 250 छात्रों को एक प्रश्नावली दी गई। जिसमें भावनाओं की अभिव्यक्ति, नियंत्रण और उपयोग से संबंधित तीस सवाल पूछे गए थे। जिसका मकसद यह जानना था कि भावनात्मक बुद्धिमत्ता का मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिये कितनी जिम्मेदार है। साथ ही उन वजहों की भी पड़ताल की गई जिनके चलते आज उच्च शिक्षा ले रहे छात्र मानसिक दबाव झेल रहे हैं। मानसिक कल्याण पर डेटा प्राप्त करने के लिए, शोधकर्ताओं ने वारविक एडिनबर्ग मेंटल वेलनेस स्केल को अपनाया। जिसमें सकारात्मक विचार, आत्मनियंत्रण आदि की शामिल होते हैं। उन्होंने प्रश्नावली की विश्वसनीयता का मूल्यांकन किया और उसे संतोषजनक पाया। साथी ही परिकल्पना का परीक्षण करने के लिए उन्होंने सांख्यिकीय रूप से डेटा का विश्लेषण किया।
जिसके नतीजे बताते हैं कि विभिन्न कारक जैसे कोविड-19 महामारी का प्रभाव, गला घोंट प्रतिस्पर्धा, अलगाव, तनाव और जागरूकता का अभाव, छात्रों के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियाँ खड़ी करती है। अध्ययन के नतीजे यह भी सुझाव देते हैं कि जो छात्र भावनात्मक जुड़ाव को महत्व देते हैं उनकी भावनाओं को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है और बेहतर मानसिक कल्याण का अनुभव किया जा सकता है। इस अध्ययन का समाचार करेंट साइंस मैगजीन ने प्रकाशित किया है। जिसमें शोधार्थी शिखा राणा की टिप्पणी भी दी गई है। जिसमें उन्होंने कहा है कि भावनात्मक बुद्धिमत्ता का मानसिक कल्याण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।