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सिलक्‍यारा टनल टूटी, चालीस मजदूर फंसे, डिजाइन पर उठने लगे सवाल

Pen Point, Dehradun : उत्‍तरकाशी जिले में यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सुरंग ढह गई। जिससे सुरंग के अंदर करीब चालीस मजदूर फंस गए हैं। जानकारी के अनुसार हाईवे पर बन रही सिलक्यारा से डंडालगांव टनल का एक हिस्सा टूटने की सूचना है। जिसमें सिलक्यारा साइड से 150 मीटर टनल का पार्ट टूटा है।  जिला प्रशासन के मुताबिक, राहत एवं बचाव कार्य करते हुए एक और ऑक्सीजन पाइप भी टनल के अंदर पहुंचा दिया गया है, टनल के अंदर सभी मजदूर सुरक्षित हैं। वहीं एसडीआरएफ की टीम भी मौके पर राहत बचाव के काम में लगी है।

बताया जा रहा है कि आज सुबह तड़के टनल का एक हिस्‍सा उस वक्‍त ढहा जब मजदूरों की शिफ्ट में बदलाव हो रहा था। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस अधीक्षक उत्तरकाशी के नेतृत्व में पुलिस, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, फायर, आपातकालीन 108 व निर्माणाधीन टनल में कार्यदायी संस्था NHIDCL की मशीनरी ने मौके पर बोरवेलिंग व टनल खुलवाने का कार्य किया। टनल में मजदूरों के लिये पर्याप्त ऑक्सीजन सिलेण्डर होना बताया जा रहा है। हालांकि, राहत एवं बचाव कार्य करते हुए एक और ऑक्सीजन पाइप भी टनल के अंदर पहुंचा दिया गया, टनल के अंदर सभी मजदूर सुरक्षित हैं।

दूसरी ओर, मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी ने भी घटना को गंभीरता से लिया है। उन्‍होंने शासन स्‍तर के अधिकारियों को राहत बचाव के काम पर नजर बनाए रखने के निर्देश दिए हैं।

यमुनोत्री विधायक संजय डोभाल ने भी मौके पर पहुंचे। उन्‍होंने राहत बचाव कार्यों का जायजा लिया और इस काम में लगे अधिकारियों से घटना की जानकारी ली।'Pen Point

उल्‍लेखनीय है कि यह सुरंग बीते दिनों काफी चर्चा में आई थी। जब इसे बना रही एनएचएआई ने सुरंग के बीचोंबीच एक दीवार बनाने की योजना बनाई थी। बताया गया था कि इससे सुरंग दो हिस्‍सों में बंट जाएगी जो वाहनों के लिये ज्‍यादा सुरक्षित होगी। लेकिन यह साफ नहीं हो सका था कि ये दीवार सुरंग के मूल डिजाइन में थी या नहीं। अगर मूल डिजाइन में दीवार बनाना तय नहीं था तो आखिर सुरंग के लगभग अंतिम चरण के काम में इसमें बदलाव की क्‍या जरूरत पड़ी।

ऑल वेदर प्रोजेक्‍ट का अहम हिस्‍सा

चारधाम यात्रा रूट को ऑल वैदर रोड बनाए जाने की परियोजना के तहत सिलक्‍यारा टनल एक महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है। गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के बीच यह डबल लेन सुरंग परियोजना की सबसे लंबी सुरंग है। साढ़े चार किमी लंबी इस सुरंग के बनने से ऋषिकेश से यमुनोत्री की दूरी 25 किमी घट जाएगी। जिसका जिम्मा एनएचआईडीसीएल के पास है। इसका निर्माण जनवरी 2019 में शुरू हुआ था और 2023 तक इसके पूरा होने का लक्ष्‍य था। लेकिन करीब तेरह सौ करोड़ रूपए की लागत से बन रही इस सुरंग को पूरा होने में अतिरिक्‍त समय लग रहा है।

न्‍यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड से बन रही है सुरंग

सिलक्‍यारा सुरंग को न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड से बनाया जा रहा है। यह सुरंग बनाने की एक आधुनिक विधि है. इसे स्प्रेड कंक्रीट लाइनिंग विधि (SCL) के नाम से भी जाना जाता है। पेशे से इंजीनियर मंजीत सिंह के मुताबिक इसे विभिन्न भूवैज्ञानिक परिस्थितियों के लिए सबसे कारगर तरीका माना जाता है। यह एक पारंपरिक तरीका है जिसे 1957 और 1965 के बीच ऑस्ट्रिया में विकसित किया गया था। इसे चुनौतीपूर्ण इलाकों में सुरंग बनाने में सहायक है और तकनीक तंग जगहों में सुरंग खोदने में भी मदद करती है। लेकिन किसी भी निर्माण कार्य में यह विधि लागू करने से पहले ज़मीन की भूगर्भिक और भू-तकनीकी स्थितियों को समझना बहुत ज़रूरी है। भारत में रोहतांग टनल, हरियाणा ऑर्बिटल रेल कॉरीडोर और दिल्‍ली मैट्रो इसी विधि से बनाए गए हैं।

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