पलायन से उदास पौड़ी में उम्मीद की मुस्कान बने इन चेहरों को जानिए
Pen Point, Dehradun : उत्तराखंड में पलायन की त्रासदी से सबसे ज्यादा जूझ रहे पौड़ी जिले में वक्त शायद करवट बदल रहा है। लंबे समय तक पलायन से धूसर हुई इस जिले की जमीन पर खुद मुख्तारी की हरियाली उगती दिख रही है। यह अहसास कई मौकों पर ताजा हो जाता है। ऐसा ही एक मौका था नमस्ते पहाड़ पत्रिका की पहली वर्षगांठ का। हिल स्टेशन खिर्सू के खुशनुमा मौसम में नई और पुरानी पीढ़ी के कई लोग इकट्ठा हुए। यहां अपने आस पास ही रोजी रोटी और रोजगार के जरिये फलने फूलने पर बातचीत हुई। पौड़ी जिले के उन चेहरों को सम्मान से नवाजा गया जिन्होंने वीरान होते अपने इलाके में खुशहाली के बीज बो दिये हैं। बिना किसी शोर शराबे के चुपचाप खुद काम करते हुए दूसरों को भी हौसला दे रहे इन शख्सियतों को यहां जानना जरूरी है-
डॉ.सविता रावत- डॉ सविता रावत पौड़ी ब्लॉक के सिरौली गाँव की रहने वाली हैं। स्वरोजगार करने से पहले सविता फार्मा सेक्टर में ऊँचे ओहदे पर थी। लेकिन खुद के बलबूते कुछ करने की ललक ने उन्हें स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया। सविता अपने गाँव में सेब की जैविक खेती कर रही हैं। स्वरोजगार सम्मान मिलने पर सविता ने कहा कि मुझे खुशी है कि मेरी मेहनत को को सराहना मिली है। उन्होंने कहा कि हम लोग मिलकर मेहनत करें तो हमारे युवाओं को बेरोजगारी से मुक्ति मिल सकती है। जब से उन्होंने अपनी मुहिम शुरू की है, उनके और आस पास के गांवों का माहौल भी तब से बदलने लगा है। अब गांव के और लोग भी बागवानी की ओर रूझान दिखा रहे हैं। खास तौर पर युवा अब इस मामले में आत्मनिर्भर होने के लिये आगे बढ़ने लगे हैं।
सुनील कुंडलिया- सुनील पोखड़ा ब्लॉक के ग्राम चलकुड़िया के रहने वाले हैं। सुनील ने एमबीए की पढ़ाई की है और स्वरोजगार से पहले बाहरी राज्यों में नौकरी करते थे। अपना कुछ करना चाहते थे इसलिए नौकरी छोड़कर गाँव चले आए और आज अपने गाँव में कीवी के साथ साथ सेब, आडू और खुमानी जैसे कई फलों की खेती कर रहे हैं। इस मौके पर सुनील ने कहा कि स्वरोजगार सम्मान मुझे और प्रेरित करेगा। उन्होंने आगे कहा कि कृषि जैसे क्षेत्र में स्वरोजगार के लिए ढेरों अवसर हैं। हमें अपने परंपरागत खेती को ना छोड़कर नई तकनीक का उपयोग कर कर उसे आगे बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें उत्तराखंड में एकजुट होकर कार्य करना होगा तभी जाकर यहां पर खेती में लोगों की आर्थिक की मजबूत हो सकती है।
पवन बिष्ट- पाबौ ब्लॉक के ग्राम मरोड़ा के रहने वाले पवन अपने गाँव में सेब, कीवी, नींबू और लेमनग्रास की खेती करते हैं। स्वरोजगार करने से पहले पवन इंजीनियरिंग की क्षेत्र में कार्यरत थे। स्वरोजगार सम्मान मिलने पर पवन ने कहा कि यह पुरस्कार हमारी हिम्मत को और बढ़ायेगा। स्वरोजगार का रास्ता बहुत आसान नहीं है इसलिए इस तरह का सम्मान मिलना हमारी हिम्मत को बढ़ाने का काम करेगा। पवन कहते हैं कि मेरा सिर्फ एक ही मकसद है कि मैं अपने गांव में हर परिवार के यहां पर बगीचा देखना चाहता हूं हमारे गांव में इस वक्त डेढ़ सौ परिवार रहते हैं तो मैं चाहता हूं कि हर परिवार का एक बगीचा हो और कम्युनिटी लेबल पर हम लोग कार्य कर पाए।
लक्ष्मण सिंह नेगी- स्वरोजगार प्राप्तकर्ताओं की सूची में एक नाम 80 वर्षीय लक्ष्मण सिंह नेगी का है। खिर्सू ब्लॉक के उल्ली गाँव के रहने वाले लक्ष्मण सिंह नेगी सेवानिवृत शिक्षक हैं। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने नया जीवन शुरू किया और अपनी 30 नाली बंजर जमीन को हरा भरा करने का निर्णय लिया। इस उम्र में भी उनका जज्बा बरकरार है, जिसे देखकर गांव के अन्य लोग भी प्रेरित हो रहे हैं। अपनी सरकारी सेवा के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने के अनुभव को वे इस काम में बखूबी इस्तेमाल भी कर रहे हैं। वो अपने गाँव में प्रेरणा वाटिका नाम से नर्सरी चला रहे हैं और बागवानी का काम कर रहे हैं। पुरस्कार मिलने पर लक्ष्मण सिंह नेगी ने कहा कि सेवानिवृत होने के बाद यह मेरी दूसरी जीवन यात्रा है। मेरी उम्र और हिम्मत दोनों ही प्रकृति की ही देन है। मैं चाहता हूँ दूसरे लोग भी अपनी जमीन को ऐसे ही प्यार करें।
खिर्सू की ब्लॉक प्रमुख भवानी गायत्री ने सम्मान पाने वाले को बधाई दी और कहा कि स्वरोजगार का काम करने वाला हर व्यक्ति सम्मान का करने योगय है।यह हमारे पहाड़ी समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं जिन्हें देखकर अन्य लोग भी प्रेरित होंगे। उन्होंने स्वरोजगार सम्मान के आयोजन की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन हमारे युवाओं को बेहतर भविष्य के लिए प्रेरित करेंगे।
वरिष्ठ पत्रकार विमल नेगी के मुताबिक स्वरोजगार के क्षेत्र में इस तरह के सम्मान कार्यक्रम होते रहने चाहिए, जिससे कि अधिक अधिक से अधिक युवा पलायन करने की जगह अपने गाँव में ही स्वरोजगार के लिए प्रेरित हो सकें। इस दौरान उन्होंने स्वरोजगार के क्षेत्र में काम कर रहे लोगों को सकारात्मक रहते हुए कार्य करने की सलाह दी। कार्यक्रम में उपस्थित खिर्सू ब्लॉक अध्यक्ष, कांग्रेस चंद्रभानु बिष्ट ने कहा कि मौजूदा समय में सरकारी नौकरियां कम होती जा रही हैं ऐसे में स्वरोजगार युवाओं के लिए रोजगार का एक बेहतर विकल्प बन सकता है।
नमस्ते पहाड़ के संपादक योगेंद्र सिंह बताते हैं- “हमारी कोशिश है कि सफलता की इन कहानियों को लोगों तक पहुंचाया जाए। पत्रिका के साथ ही कार्यक्रमों का सिलसिला भी आगे बढ़ता रहना चाहिए, जिससे रोजगार के लिये बाहर का रूख कर रहे युवाओं को इस तरह के लोगों से संवाद करवाया जा सके, जाहिर है कि जमीन पर काम करने वाले लोग ही पलायन रोकने की दिशा में मॉडल का काम कर सकते हैं”