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विदेशों में छिपे आतंकियों का हो रहा सफाया

– दो सालों में आधा दर्जन से करीब भारत में आतंकी हमलों में शामिल आतंकियों और आतंक समर्थकों की कनाडा और पाकिस्तान में हुई रहस्यमयी तरीके से मौत
PEN POINT, DEHRADUN : पिछले रविवार को कनाडा में रहकर खालिस्तानी आतंकवाद को पाल पोष रहा हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत के सरे शहर में अज्ञात हमलावरों ने हत्या कर दी। 45 वर्षीय खालिस्तानी समर्थक हरदीप सिंह निज्जर उस वक्त गुरू नानक सिख गुरूद्वारा की पार्किंग में गाड़ी पार्क कर रहे थे। खालिस्तानी आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए निज्जर को भारत सरकार ने मोस्ट वाटेंड की लिस्ट में शामिल किया था।
यह पहला मौका नहीं था जब विदेशों में रहने वाले भारत के दुश्मनों या देश के खिलाफ षडयंत्र रचने वाले आतंकी व आतंक समर्थकों की वहीं हत्या कर दी गई हो। पिछले कुछ महीनों में विदेशों में रह रहे आतंकियों की हत्याओं का सिलसिला चला आ रहा है।
हरदीप सिंह निज्जर का ताल्लुक पंजाब के जालंधर में भार सिंह पुरा गाँव से था। भारत सरकार के मुताबिक़, निज्जर खालिस्तान टाइगर फ़ोर्स के सदस्य थे। वे खालिस्तान टाइगर फ़ोर्स के संचालन, नेटवर्किंग, प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्रदान करने में सक्रिय रूप से शामिल थे। पंजाब सरकार के अनुसार, निज्जर के पैतृक गाँव भरा सिंह पुरा में उनकी ज़मीनें राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) ने जब्त की थीं। निज्जर 2020 में एक अलग खालिस्तान राष्ट्र के लिए ऑनलाइन अभियान सिख रेफ़रेंडम 2020 में शामिल थे। ये अभियान भारत में प्रतिबंधित संगठन सिख फ़ॉर जस्टिस की तरफ़ से चलाया गया था। 1997 में निज्जर कनाडा पहुँचे थे। शुरुआती दिनों में निज्जर कनाडा में एक प्लंबर के रूप में काम करते थे। कोविड लॉकडाउन से पहले उनके माता-पिता वापस गाँव आ गए थे।भारतीय जाँच एजेंसी एनआईए के मुताबिक़, 2013-14 में निज्जर कथित तौर पर पाकिस्तान गए थे और यहाँ उनकी मुलाक़ात खालिस्तान टाइगर फ़ोर्स के प्रमुख जगत सिंह तारा से हुई थी।इस बीच वो लगातार भारत सरकार की रडार पर थे.

परमजीत सिंह पंजवड़ 

 

पंजवड़ पाकिस्तान के लाहौर में छिपा बैठा थां इसी साल मई में पाकिस्तान के लाहौर में परमजीत सिंह पंजवड़ की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मई महीने की एक सुबह लाहौर में अपने ठिकाने से मार्निंग वॉक निकले पंजवड़ को अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी थी। पंजवड़ की मौके पर ही मौत हो गई। साल 2020 के जुलाई महीने में भारत सरकार की तरफ से एक अधिसूचना जारी की गई थी।इस अधिसूचना में ग़ैर-क़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत नौ आतंकवादियों के बारे में जानकारी दी थी। अधिसूचना में एक नाम था परमजीत सिंह उर्फ़ पंजवड़।पंजाब के तरन तारन में जन्मे परमजीत सिंह भारत सरकार की ओर से प्रतिबंधित किए गए आतंकी संगठन ख़ालिस्तान कमांडो फ़ोर्स का प्रमुख नेता था।
पंजवड़ के ख़ालिस्तान कमांडो फ़ोर्स ने बड़े आतंकी घटनाओं को दिया था अंजाम –
-जून, 1988 में कुछ राजनेताओं की हत्या.
-फिरोज़पुर में 10 राय सिखों की हत्या.
-1988 और 1999 के बम धमाके.

सैयद ख़ालिद रज़ा

'Pen Point
चरमपंथी संगठन अल बद्र मुजाहिदीन के प्रमुख और भारत प्रशासित कश्मीर में सक्रिय रहे सैयद ख़ालिद रज़ा की इस साल फ़रवरी के महीने में हत्या हुई थीं।
90 के दशक के शुरू में ख़ालिद रज़ा अफ़ग़ानिस्तान में अल बद्र संगठन के ट्रेनिंग कैंपों से प्रशिक्षण लेने के बाद कश्मीर में भारतीय सैनिकों के विरुद्ध लड़ाई में शामिल रहे, लेकिन 1993 में पाकिस्तान वापसी के बाद उनको पेशावर में उस संगठन का पदाधिकारी बनाया गया था। अल बद्र मुजाहिदीन जमात-ए-इस्लामी की एक सहयोगी हथियारबंद विंग थी और 80 के दशक की शुरुआत से अफ़ग़ानिस्तान और फिर कश्मीर में सक्रिय रही है।
कुछ आंतरिक मतभेदों के कारण अल बद्र मुजाहिदीन 90 के दशक के अंत में जमात-ए-इस्लामी से अलग हो गई। फैज़ुल्लाह ख़ान के अनुसार 90 के दशक के अंत में जब सैयद ख़ालिद रज़ा को कराची डिवीज़न के लिए अल बद्र का प्रमुख घोषित किया गया, तो वह पूरे राज्य में संगठन के सबसे प्रभावी नेता थे। 9/11 के बाद पाकिस्तान में जिहादी संगठनों पर पाबंदी लगी और सैकड़ों लोगों को गिरफ़्तार किया गया था। इनमें सैयद ख़ालिद रज़ा भी शामिल थे. फिर कुछ साल जेल में रहने के बाद चरमपंथी गतिविधियों से अलग होकर शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ गए था।
इसी साल 26 फरवरी को कराची के गुलिस्तां जौहर में सैयद खालिद रजा के घर में जानलेवा हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया। हालांकि इस हत्या की ज़िम्मेदारी सरकार विरोधी और अलगाववादी हथियारबंद संगठन सिंधु देश आर्मी ने ली थी।

बशीर अहमद पीर
भारत के दुश्मन सैयद खालिद रजा की हत्या से 6 दिन पहले ही भारत के एक ओर दुश्मन को पाकिस्तान में अज्ञात हमलावरों ने गोली मार कर मौत के घाट उतार दिया। इसी साल 20 फ़रवरी को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से सटे रावलपिंडी शहर में कश्मीरी कमांडर बशीर अहमद पीर उर्फ़ इम्तियाज़ आलम जब शाम की नामज अता कर घर लौट रहे थे तो अज्ञात हथियारबंद मोटरसाइकिल सवारों ने उन्हें गोली मार दी और फ़रार हो गए। 60 वर्षीय बशीर अहमद श्रीनगर ज़िले से ताल्लुक़ रखते थे और 80 के दशक के आख़िर से वे कश्मीरी जिहादी संगठन हिज़्बुल मुजाहिदीन से जुड़े थे।
90 के दशक की शुरुआत में बशीर परिवार समेत पाकिस्तान चले आए और वहां वह हिजबुल मुजाहिदीन के सबसे प्रभावशाली कमांडर बन गए थे।
भारत सरकार की तरफ से बशीर अहमद पीर उर्फ इम्तियाज़ आलम को यूएपीए क़ानून के तहत आतंकवादी घोषित किया गया था।

रिपुदमन सिंह मलिक 

'Pen Point
1985 के एयर इंडिया बम धमाके में अभियुक्त रहे रिपुदमन सिंह मलिक की पिछले साल कनाडा में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। साल 2022 में कनाडा में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे शहर में कार के अंदर रिपुदमन सिंह को गोली मारी गई थी। मलिक को 1985 में हुए कनिष्क विमान विस्फोट का साजिशकर्ता था।
23 जून, 1985 को ख़ालिस्तानी अलगाववादियों ने मान्ट्रियल से मुंबई आ रहे एयर इंडिया के विमान कनिष्क में एक टाइम बम रखा था। आयरलैंड के तट के पास विमान में विस्फोट हुआ और 329 लोगों की मौत हो गई थी।
रिपुदमन सिंह मलिक 1972 में भारत छोड़कर कनाडा पहुँचे थे और बतौर कैब ड्राइवर काम करने लगे थे। इसके बाद मलिक एक बड़े बिजनेसमैन बन गए और वैंकूवर के खालसा क्रेडिट यूनियन के अध्यक्ष चुने गए थे.
वह पिछले सालों से अधिक समय से भारत की ब्लैक लिस्ट में शामिल था। हालांकि मोदी सरकार ने सितंबर 2019 में 35 साल पुरानी ब्लैकलिस्ट से विदेशों में रहने वाले 312 सिखों के नाम हटाए थे। इसके बाद दिसंबर 2019 में लगभग 25 साल बाद रिपुदमन सिंह मलिक भारत आए थे। इसको को लेकर मोदी सरकार को भारी आलोचना का सामना करना पड़ा।

जहूर मिस्त्री इब्राहिम
जहूर मिस्त्री इब्राहिम साल 1999 में नेपाल से एक भारतीय विमान की हाइजैकिंग में शामिल थे जिसे काबुल ले जाया गया था। अपहरणकर्ताओं ने भारतीय जेल में बंद जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक अध्यक्ष मौलाना मसूद के साथ दो अन्य कमांडरों मुश्ताक़ ज़रगर और उमर सईद शेख़ को रिहा करवा लिया था। जैश ए मोहम्मद आतंकी संगठन से जुड़े जहूर मिस्त्री इब्राहिम की बीते साल मार्च महीने में कराची की एक आवासीय कॉलोनी में मोटरसाइकिल सवार दो अज्ञात हमलावरों ने गोली चलाकर जहूर को मौत के घाट उतार दिया।

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