आईटीबीपी की मुस्तैदी पर भारी पड़ रही सीपीडब्ल्यूडी की सुस्ती
Pen Point, Dehradun : भारत चीन सीमा पर मुस्तैद आईटीबीपी को लंबे समय से बुनियादी सुविधाओं की दरकार है। इन सुविधाओं को विकसित करने का जिम्मा केंद्रीय लोक निर्माण विभाग सीपीडब्ल्यूडी का है। लेकिन सीपीडब्ल्यूडी की कार्यशैली से आईटीबीपी नाखुख है। जिसका कारण है कि सीमा पर बुनियादी ढांचा परियोजनाएं समय से पीछे चल रही हैं। जबकि इन कामों की सीधी निगरानी केंद्रीय गृह मंत्रालय कर रहा है, वहीं आईटीबीपी की ओर से कई बार सीपीडब्ल्यूडी को परियोजनाएं जल्द पूरी करने की बात कही जा चुकी है। इनमें उत्तराखंड की जोशीमठ और मसूरी समेत लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश की कई अहम परियोजनाएं शामिल हैं।
इंडियन ऐक्सप्रेस में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक आईटीबीपी के महानिदेशक अनीश दयाल सिंह ने बीती 13 जुलाई को सीपीडब्ल्यूडी के महानिदेशक राजेश कुमार कौशल को इस संबंध में पत्र लिखा। जिसके जरिए उन्होंने 106 परियोजनाओं में देरी और पूरी हो चुकी 65 को हस्तांतरित करने में हो रही देरी पर ध्यान दिलाया। उन्होंने लंबित कामों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने को कहा। रिपोर्ट के मुताबिक बीते सोमवार को सीपीडब्ल्यूडी ने एक सर्कुलर जारी कर अपनरे सभी जीएम और एजीएम को इन मुद्दों पर जरूरी कार्यवाही करने को कहा। लंबित परियोजनाओं की सूची में जोशीमठ में अधिकारियों के लिए कमरे, मसूरी में आईटीबीपी अकादमी में ऑफिसर्स मेस, लाइब्रेरी ब्लॉक और सड़कें, अनुकूलन और स्टेजिंग कैंप के लिए जवानों के लिए बैरक और लेह में अधिकारियों के लिए कमरे और अरुणाचल प्रदेश में लोहितपुर व आलो में घोड़ों के लिए बैरक, डॉग केनेल और अस्तबल भी शामिल हैं।
आईटीबीपी के पत्र का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि सीपीडब्ल्यूडी को बैरक, कार्यालय भवन, मेस भवन, मनोरंजन क्षेत्र, अस्पताल, शस्त्रागार, शौचालय सहित अन्य सुविधाएं विकसित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।लेकिन इन परियोजनाओं की गति संतोषजनक नहीं है और बार-बार पत्र लिखने के बावजूद गति नहीं बढ़ी है। साथ ही यह भी उल्लेख किया गया है कि गृह मंत्रालय ने परियोजनाओं में देरी के मुद्दे को गंभीरता से लिया है। हाल ही आईटीबीपी के महानिदेशक ने मध्य प्रदेश के शिवपुरी में सीपीडब्ल्यूडी द्वारा निर्मित एक प्रशिक्षण स्कूल का दौरा किया था और कई कमियां पाई। पत्र में कहा गया है कि सीपीडब्ल्यूडी द्वारा 2022-2023 में आवंटित बजट खर्च न कर पाने के कारण 150 करोड़ रुपये की कटौती की गई। जबकि 2023-2024 के लिए आईटीबीपी के बजट पर भी असर पड़ा। उन्होंने सीपीडब्ल्यूडी से उसे दी गई राशि को 2023-2024 की पहली दो तिमाही में खर्च करने को कहा ताकि संशोधित अनुमानित अतिरिक्त धनराशि की मांग की जा सके।