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गर्मी का मौसम और पहाड़ के छंच्या का जायका, आया कुछ याद या मूंह में पानी आ गया

Pen Point, Dehradun : गर्मी का मौसम धीरे धीरे सर उठाने लगा ही। इसे में हम पहाड़ रहने वाले लोगों को अब छांछ और छंछ्या का स्वाद लुभाने लगता है। आखिर क्या है ये छंच्या आएये बताते हैं। जी हैं आप देश दुनिया के किसी भी कोने में रहते हैं और उत्तराखंड के रैबासी हैं या आपके पुरखे उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों से वास्ता रखते थे। ऐसे में आप यहाँ के एक शानदार और सुपाच्य भोजन के बारे में जरूर जानते होंगे और नहीं जानते तो आइये आज आपको इसके बारे में बताते हैं।

उत्तराखंड में हमेशा से खास कर पहाड़ी अचंलों में छंच्या, छछिंडा, छंचेरा खास व्यंजन रहा है। पहाड़ी घरों में में जिस दिन ताजा छाछ (मट्ठा) बनता था , उस दिन हरी चटनी और शानदार स्वादिष्ट हरे लहसुन, पुदीने और धनिये के पत्तों के साथ सिलबट्टे में पिसे नमक के साथ चटखारेदार छंच्या (छछिंडा) खाने को जीभ मचली उठ जाती है। लेकिन अब शायद ज्यादातर लोग यहाँ पहाड़ों से शहरों का रुख कर चुके हैं ऐसे में नई पीढ़ी को यह स्वाद शायद ही चखने को मिलता होगा। इसमें भी शक है कि शायद उन्हें ये बेहद पौषिटक खाना पसंद आएगा भी या नहीं। बदलते जमाने और दौर के साथ पहाड़ों में भी जीवन शैली और खान पान बेहद तेजी से बदल रहा है। ऐसे में वहां भी अब केवल पुराने लोग ही इस शानदार खाने को खाने की इच्छा जताते हैं। यही कारण है कि उत्तराखंड के गांवों के चुनिंदा घरों में ही अब छछिंडा पकाया जाता है। उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में इसे इसे छसिया कहा जाता है।

यदि आप इस स्वास्थ्य बर्द्धक और पौष्टिक खाने का स्वाद लेना चाहते हैं तो आज हम यहाँ आपको छंच्या या कहें छछिंडा बनाने की विधि के बारे में बताते हैं। इसके लिए सबसे पहले डेगची या पतीली या कढ़ाई में पानी उबाल लें। फिर कितने लोगों के लिए छंच्या बनाना है उसके हिसाब से तय मात्रा में साफ किया हुआ झंगोरा अच्छी तरह धोकर खौलते पानी में डाल दें । साथ ही डडलू (करछी) को तेज-तेज घुमाते रहें तकि झंगोरे के दाने बर्तन की ताली पर न चिपकें, क्योंकि अन्य अनाज की अपेक्षा झंगोरा बर्तन की तली में बहुत तेजी से चिपकता है। ऐसे में करछी चलाने में बिलकुल लापरवाही न करें। गैस या चूल्हे की आंच बहुत तेज या काम नहीं होनी चाहिए। यानई आंच इतनी रहे कि उबाल बहार न आये और लगातार घुमाते वह खौलता रहे।

जब झंगोरा अधपका हो जाए और पानी कम होने लगे तो उसमें झंगोरा की मात्रा से दोगुना से कुछ अधिक छाछ डाल दें। इसे आप बिना किसी मशाले के फीका भी बना सकते हैं। ध्यान रहे भात की तरह सूखा न पकाये बल्कि शूप की तरह या खीर कि तरह बना सकते हैं। इसेक अलावा इसे आप मशाले दार भी बना सकते हैं इसके लिए आपको इसमें लहसुन, नमक, मिर्च व हलके मसाले डालकर अच्छी तरह हिलाते रहना है। आंच थोड़ी कम कर सकते हैं। छछिंडा या छंच्या थिड़कने लगे तो समझिए आपका स्वादिष्ट भोजन पककर तैयार हो गया है। इसके बाद बस, अब एक दो मिनट तक बर्तन को ढक लें और फिर आंच बंद कर दें। इसके बाद बर्तन चूल्हे से उतारकर थोड़ा-सा इंतजार कीजिए और फिर लीजिए स्वादिष्ट एवं पौष्टिक छछिंडा का स्वाद। अगर झंगोरा उपलब्ध न हो तो आप चाहें तो कटे हुए चावल से भी छंच्या बना सकते हैं। यह भी वैसे ही बनता है, जैसे कि झंगोरे का छछिंडा। तैयार छंच्या में अब आप वही सिलबटे में पिसा हुआ हरा धानिया पुदीने वाला लूण (नमक) मिला कर चटखारे ले सकते हैं। इस स्वाद को आप फिर भूल नहीं सकते।

पहाड़ का पारम्परिक भोजन छंच्या उत्तराखंड का यह विशेष पकवान है। छांछ पेट के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है। वो भी खासकर गर्मी के मौसम में। झंगोरा पेट में ठंडक बनाये रखने के लिए काफी अच्छा माना जाता है। बीमार व्यक्ति के लिए यह सबसे सुपाच्य भोजन बताया गया है। यह शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है। पहले लगभग सब लोग गाय भैंस पालते थे। दूध दही की कमी नहीं थी। गावं में जब भी किसी घर में छांछ बनाई जाती थी, तो थोड़ा -थोड़ा सबको बाटते थे, जिससे किसी के घर में छाछ की कमी नहीं पड़ती थी। आज की तारीख में लोगो ने दुधारू पशु पालना बंद कर दिया है। जो कोई पाल भी रहें हैं तो केवल व्यवसयिक प्रयोग के लिए पाल रहें हैं।

पशुपालन में आ रही लगातार कमी के चलते उत्तराखंड का यह पारंपरिक भोजन छंछ्या पहाड़ और पहाड़ियों की रसोई से अब गायब होता जा रहा है। गढ़वाल में छंच्या केवल झंगोरे से बनाया जाता है जबकि कुमाऊं में इसे चावल और झंगोरा दोनों के साथ बनाया जाता है। कुमाऊँ में बर्तन में हल्का सरसो का तेल लेकर, उसे गर्म करके उसमे जीरा ,जखिया ,या मेथी का तड़का लगाकर बनाया जाता है। फिर चावलों को धो कर भुनने के लिए डाल देते हैं। चावल अच्छी तरह भुन जाने के बाद ,उसमे पर्याप्त मात्रा में छास और पानी मिला लेंगे और साथ में नमक और हल्का हल्दी पावडर या हल्का मसाला। चावलों के पक जाने के बाद पतला -पतला छासिया जौ पिने में जो मजा आता है न ,वो स्वाद तो नोर के वेज सूप में भी नहीं आता। हालांकि आप इसे चटपटा बनाने के लिए लालमिर्च का तड़का ,आदि चटपटे मसालों का प्रयोग कर सकते हैं।

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