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सर्दियों में ये पहाड़ी दालें बहुत पसंद की जाती हैं, सेहत के लिए भी हैं फायदेमंद

PEN POINT, DEHRADUN : उत्तराखंड का खान-पान बहुत पौष्टिकता से भरा हुआ है। यहाँ हर मौसम के लिहाज से अलग अलग तरह के पकवान प्रचलित रहे हैं। इसका सीधा सम्बन्ध यहाँ की आबोहवा और प्राकृतिक स्थितियों से है। जैसे इन दिनों सर्दियाँ धीरे धीरे अपन चरम की तरफ बढ़ रही है। इस बेहद सर्द मौसम में जहाँ पहाड़ के ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फवारी हो रही है। ऐसे में इसका असर पूरे उत्तराखंड में महसूस किया जा रहा है। जब इस ठन्डे मौसम में यहाँ के खान-पान की याद आती है, तो पहाड़ की दालें और उनके सूप का जायका मूंह में पानी ला देता है। यहाँ उगाई जाने वाली तमाम ऐसी दालें हैं, जो अपने औषधीय गुणों के लिए जानी जाती हैं। यही कारण है कि बदलते मौसम के हिसाब से इन दालों की डिमांड बढ़ जाती है। जिनमें प्रमुखता से गहथ, तोर, उड़द, काले भट, रयांस, छीमी, लोबिया राज्य के इन ऊंचाई वाले इलाकों में बहुतायत में उगाई जाती है जिसमें चकराता, जोशीमठ, हर्षिल और मुनस्यारी की राजमा खूब भी खूब प्रमुखता में शामिल हैं।

इस मौसम में इन दालों की बाजार में मांग बढ़ जाती है। इससे यहाँ के किसान भी अपनी आर्थिकी को कुछ हद तक चला लेते हैं। इसके अलावा इन दालों से उत्तराखंड के पारंपरिक व्यंजनों को भी बाजार में बढ़ावा मिल रहा है। सर्दी के मौसम में गहथ व तोर की दलों से स्वादिष्ट और शक्तिबर्धक गर्म रस यानि सूप घरों में बनाया जाता है। जो अब देहरादून, हल्द्वानी, रामनगर, काशीपुर, हरिद्वार, मसूरी, नैनीताल आदि पर्यटक स्थलों में होटलों और रेस्त्रां में परोसा जाता है। गहथ को तो पथरी के लिए रामबाण इलाज के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। गैथ से कार्बोहाइड्रेट, वसा, रेशा, खनिज और कैल्शियम से भरपूर गहथ से गथ्वाणी, फाणु, पटौड़ी जैसे पहाड़ी व्यंजन तैयार किए जाते हैं। वहीं इसके अलावा कार्बोहाइड्रेट और वसा से भरपूर तोर की दाल से भरे परांठे, खिचड़ी आदि पकवान बनाए जाते हैं। जिसे खासकर सर्दियों में लोग बहुत पसंद करते हैं।

काला और सफेद भट की दाल भी उत्तराखंड में सेहत का खजाना मानी जाती है। उत्तराखंड में भट की चुटकाणी, डुबके बनाइए जाती है। इसके अलावा पहाड़ी उड़द की दाल से पकौड़े और चैंसू आदि पकवानों का सर्दियों के मौसम में खूब सेवन किया जाता है। पहाड़ी दालों उत्तराखंड के अलावा बाहरी राज्यों में भी काफी मांग है। ऐसे में काश्तकारों के जरिए कई संस्थाएं और स्वयं सहायता समूह इन दालों का विपणन का काम कर रही हैं। सर्दियों में दाल की बात करें तो तोर, गहथ, काला भट, लोबिया, चकराता की राजमा की मांग ज्यादा बढ़ जाती है।

डायटीशियन के मुताबिक, पहाड़ी दाल कोई भी हो वह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती हैं। क्योंकि इनमें किसी तरह का केमिकल नहीं होता। कुलथ अथवा गहथ किडनी स्टोन को खत्म करने में फायदेमंद बताइए जाती है। इसके अलावा इसे खांसी, जुकाम में तो यह रामबाण की तरह स्थानीय लोग खूब इस्तेमाल करते हैं। वहीं पहाड़ी भट डायबिटीज को नियंत्रित करने हड्डियों को मजबूत बनाने में लीवर को हेल्दी रखने में मददगार माना जाता है। पहाड़ी उड़द की दाल शक्तिवर्धक होने के साथ ही इसे पाइल्स, खांसी जैसी समस्या दूर करने के लिए खूब इस्तेमाल किया जाता है।

फोटो : प्रतीकात्मक

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