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UPSC : परीक्षा पास हर उम्मीदवार नहीं बन सकता IAS, IPS

– रिक्त पदों के सापेक्ष ही मिल पाते हैं आईएएस, आईपीएस के पद, 24 अन्य सेवाओं में ही मिलती है नियुक्तियांए

PEN POINT, DEHRADUN : संघ लोक सेवा आयोग ने मंगलवार को सिविल सेवा अंतिम परिणाम घोषिए किए। मंगलवार को आए नतीजों में दिल्ली यूनिवर्सिटी की ग्रेजुएट इशिता किशोर ने पहला स्थान हासिल किया है. दूसरे स्थान पर गरिमा लोहिया, तीसरे पर उमा हरती एन और चौथे स्थान पर स्मृति मिश्रा रही हैं। देश की इस सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा में लगातार दूसरे वर्ष पहले तीन स्थानों पर लड़कियों ने कब्ज़ा किया है, पिछली बार श्रुति शर्मा,अंकिता अग्रवाल और गामिनी सिंगला पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर रही थीं। इस बार 933 उम्मीदवारों ने यूपीएससी की ये परीक्षा पास की है, जिसमें 613 पुरुष हैं और 320 महिलाएं। जबकि, टॉप 25 में 14 महिलाएं और 11 पुरुष हैं।
खैर, यह तो परिणाम की बात हुई लेकिन यह कैसे तय होता है कि कौन आईएएस बनेगा, कौन आईपीएस। देश की सबसे प्रतिष्ठित माने जाने वाली इस परीक्षा में सबसे पहले प्रारंभिक परीक्षा होती है। सिविल सेवा परीक्षा 2022 में 11 लाख 52 हजार युवाओं ने आवेदन किया था, जिसमें से 13090 युवाओं ने भी प्रारंभिक परीक्षा पास की थी। जिसमें से मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू के बाद 933 उम्मीदवार आईएएस, आईपीएस, आईएफस जैसे 24 केंद्रीय सेवाओं के 1000 पदों के लिए सफल हुए।
सविल सर्विसेज परीक्षा में सबसे पहले प्रारंभिक परीक्षा होती है, जिसमें पास होने वाला परीक्षार्थी मुख्य परीक्षा के लिए योग्य हो जाता है। मुख्य परीक्षा पास करने के बाद इंटरव्यू होता है और इसी के आधार पर मेरिट बनती है।
ऑल इंडिया सर्विसेज के तहत आईएएस और आईपीएस अधिकारियों का चयन होता है। इनमें चुने गए लोगों को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों उसी के अनुसार कैडर दिया जाता है। इसके बाद केंद्रीय सेवाओं को भी दो भागों में विभाजित किया गया है। जिसमें ग्रुप ए में भारतीय विदेश सेवा, इंडियन सिविल एकाउंट्स सर्विस, आईआरएस, इंडियन रेलवे सर्विस और इंडियन इनफर्मेशन जैसे पद आते हैं.। जबकि ग्रुप बी में आर्म्ड फोर्सेज हेडक्वाटर्स सिविल सर्विस, पुडुचेरी सिविल सर्विस, दिल्ली एंड अंडमान निकोबार आइलैंड सिविल और पुलिस सर्विस जैसे पद शामिल हैं।
ये जरूरी नहीं है कि हर कोई आईएएस ही बने या मेरिट के हिसाब से पोस्ट मिले। कई बार उम्मीदवारों से उनकी प्राथमिकता पूछी जाती है और इसी आधार पर पद दिए जाते हैं। इसके अलावा खाली पद भरना भी प्राथमिकता होती है। इसे इस तरह समझिए कि कोई आपने रैंक व अंक के हिसाब से आईएएस बनने के लिए योग्य है लेकिन वह आईपीएस बनना चाहता है तो उसे यह पद दिया जाता है।

इतनी बार दे सकते हैं परीक्षा
परीक्षा के लिए आमतौर पर सामान्य श्रेणी के आवेदकों को 32 वर्ष की उम्र तक 6 चांस मिलते हैं। ओबीसी वर्ग के लिए यह सीमा 35 वर्ष रखी गई है जिसके तहत उन्हें 9 प्रयास मिलते ह। जबकि एससी/एसटी कैटेगरी को 37 साल तक जितनी बार चाहें उतनी बार पेपर देने की छूट है वह कितनी बार भी परीक्षा दे सकते हैं। वहीं सामान्य वर्ग के दिव्यांग छात्र 42 साल की उम्र तक 9 बार आवेदन कर सकते हैं।

नहीं मिला पसंदीदा पद तो फिर दीजिए परीक्षा
सिविल सेवा में सफल अभ्यिर्थियों को यह सुविधा भी है कि वह यदि सफल होने के बाद मिले पद से संतुष्ट नहीं हैं तो पद पर रहते हुए भी वह दोबारा परीक्षा दे सकते हैं। मान लीजिए, आपकी रैंक के हिसाब से आपको आईपीएस पद मिला लेकिन आप आईएएस बनना चाहते हैं तो आप आईपीएस रहते हुए दोबारा यूपीएससी की परीक्षा में शामिल हो सकते हैं, सफल हुए तो आईएएस नहीं हुए तो आईपीएस तो बने ही हैं। लेकिन, अगर आपको भारतीय विदेश सेवा का पद मिला है और आप फिर से आवेदन कर परीक्षा देना चाहते हैं और आप अपने पसंदीदा पद के लिए सफल नहीं हुए तो आप भारतीय विदेश सेवा यानि आईएफएस के पद से हाथ गंवाना पड़ सकता है। ।

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