फिर चर्चा में यूएस नगर, खालिस्तानी आतंकियों के समर्थन के आरोप में छापेमारी
– बीते बुधवार को एनआईए ने देहरादून और यूएस नगर में गैंगस्टर और खालिस्तानियों के बीच सहयोग के नेटवर्क के चलते की छापेमारी, दोनों जगहों से आरोपियों को किया गिरफ्तार
PEN POINT, DEHRADUN : बीते बुधवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गैंगस्टर और खलिस्तानी-आतंकियों के बीच संबंधों को लेकर ऊधमसिंह नगर के बाजपुर और देहरादून में छापेमारी की। दोनों जगहों से एक एक आरोपी को एनआईए गिरफ्तार कर पूछताछ के लिए दिल्ली ले गई। खालिस्तानी आतंकियों को लेकर प्रदेश का ऊधमसिंह नगर जनपद हमेशा से ही चर्चाओं का केंद्र रहा है।
इसी साल की शुरूआत में वारिस पंजाब दे संगठन और खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल को जब देश की जांच एजेंसियां ढूंढ रही थी तो एजेंसियों ने उत्तराखंड के तराई जनपद ऊधमसिंह नगर को अमृतपाल का संभावित ठिकाना मानते हुए यहां भी व्यापक पैमाने पर उसकी गिरफ्तारी के लिए अभियान चलाया था। कारण था कि ऊधमसिंह नगर लंबे समय से ही खालिस्तानी आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह माना जाता रहा है। देश के अलग अलग हिस्सों से अपराधियों की शरणस्थली के अलावा यह जनपद खालिस्तानी आतंकवाद में शामिल अपराधियों की पनाहगार भी रहा है। इसकी तस्दीक यहां समय समय पर हुई गिरफ्तारियां करती है। ऊधम सिंह नगर को मिनी पंजाब के नाम से जाना जाता है। इस जनपद की कुल आबादी का करीब दस फीसदी हिस्सा सिक्ख धर्म से संबंध रखता है।। 2011 की जनगणना आंकड़ों के मुताबिक करीब 16 लाख की आबादी वाले इस जनपद में सिक्ख धर्म के लोगों की आबादी 1 लाख 67 हजार से ज्यादा है। 90 के दशक में जब पंजाब आतंक की आग में जल रहा था तो उस आग की तपीश ऊधम सिंह नगर में भी महसूस हो रही थी। यहां खालिस्तान का समर्थन करने वाले आतंकियों ने आम लोगों के मन में दहशत पैदा कर दी थी। खालिस्तान नेशनल आर्मी के नाम से आतंक फैला रहे लोग यहां जबरन घरों में पनाह लेते थे। इस इलाके में सक्रिय रहे स्वर्णा, हीरा और घोड़ा आतंकियों का पूरे इलाके में खौफ था। 1991 में अक्टूबर महीने की 17 तारीख को रूद्रपुर में इन आतंकियों ने कुछ ऐसा किया जिसने इस बात की तस्दीक भी कर दी यहां आतंकवादी किस कदर हावी हो चुके थे। रूद्रपुर के भूतबंगला रामलीला मैदान में और इंदिरा चौक स्थित पुराना जिला अस्पताल में एक बम ब्लास्ट हुआ था। जिसमें 40 से अधिक लोगों की जान गई, जबकि कई लोग घायल हो गए थे। इस घटना को अंजाम देने से पहले आतंकियों ने पूरी तैयारी कर ली थी और बमों को जमीन पर दफनाया गया था। यहां तक की रामलीला मैदान के पास स्थित जवाहर लाल नेहरू अस्पताल तक धमाके हुए थे। आतंकियों ने साइकिल में बम बांध रखे थे। जो भी घायल अस्पताल की ओर आया वह भी अस्पताल में हुए धमाके में मारा गया या फिर गंभीर रूप से घायल हो गया था। इस दौरान 30 लोग रामलीला मैदान में और 10 से अधिक लोग जिला अस्पताल में हुए विस्फोट में मारे गए थे।
इसके बाद भी जनपद के कई इलाके आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बने रहे। साल 2001-02 में दिल्ली पुलिस ने सिंह कॉलोनी में किराए पर रह रहे तीन आतंकियों को ढेर किया था। 90 के दशक में आतंकवादियों की ओर से तीन तीन बम धमाकों के दिए जख्म भरने ही वाले थे कि जनपद के बड़े हिस्से में माआवोदी भी अपना प्रभाव बढ़ाने लगे। माओवादियों ने खटीमा, सितारगंज और दिनेशपुर क्षेत्र में कई गतिविधियों को अंजाम दिया। पुलिस को नैनीताल और उधमसिंह नगर जनपद की सीमा पर माओवादी कैंप मिला था। बीते सालों में यहां ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां भिंडरेवाला के समर्थन में, खालिस्तान के समर्थन में समेत कई ऐसे अलगावी मुद्दों के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट डाली गई। तो पुलिस ऐसे कई वाहन भी मिले जिसमें खालिस्तान, भिंडरेवाले के समर्थन के स्टीकर लगे थे।
2018 में जनपद में खालिस्तान बिग्रेड 20-20 रिफ्रेंडम मुहिम, जिसमें सिख समाज के लिए एक अलग राष्ट्र की मांग करते हुए दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड को इसमें शामिल करने की मांग थी, इस मुहिम का समर्थन दिखने लगा। इस अभियान को समर्थन देने के लिए सोशल मीडिया पर खालिस्तान समर्थक बेहद सक्रिय रहे। कुछ व्हाटसएप ग्रुप भी पुलिस के हाथ लगे जिसमें इस रेफ्रेंडम के समर्थन की मुहिम चल रही थी। 2019-20 में ही करीब पुलिस ने इस अभियान के 150 समर्थक चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की। इनके डोजियर भी बनाए गए।
खालिस्तान व माओवादी आतंक के साथ ही इस जनपद में इस्लामिक जिहादी आतंकियों की मौजूदगी ने भी जनपद की छवि को झटका लगाया। देश में आतंकी गतिविधियों में लिप्त लोगों की धरपकड़ में अब तक तीन बार पंतनगर कनेक्शन सामने आ चुका था। बीते सालों में ही पठानकोठ बम धमाके में शामिल आरोपियों के पतंनगर को ठिकाना बनाने की भी बात सामने आई तो इसके लिए यहां विशेष खोज अभियान चलाए गए। यहां पुलिस ने पठानकोठ बमधमाके के आरोपियों को सुरक्षित ठिकाना मुहैया करवाने के आरोप में चार आरेापियों को गिरफ्तार किया था। इससे पहले साल 2008 में पंतनगर विवि के जलखंड में पंप ऑपरेटर नफीस खान के लालबाग पंप स्थित झोपड़ी से कैमरी रामपुर (यूपी) निवासी एक लाख रुपये के इनामी आतंकी को गिरफ्तार किया गया था। शरण देने के आरोप में नफीस खान को भी धर लिया गया था। साल 2020 में बरेली से आतंकी इनामुल हक को गिरफ्तार किया गया था, तब फिर से पंतनगर चर्चा में आया। जांच में सामने आया था कि इनामुल हक पंतनगर के झा कालोनी में ही पैदा हुआ था और वर्ष 2015 में उसने झा कालोनी मंदिर में मूर्तियां खंडित कर परिसर को दंगे की आग में झोंक दिया था।