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उत्तराखंड में गुम हो गई आधी शत्रु संपत्तियां, अब खोजने निकली सरकार

-केंद्र सरकार ने शुरू की शत्रु संपतियों की बिक्री, उत्तराखंड में मौजूद डेढ़ सौ के करीब शत्रु संपतियां भी बिकेंगी
-सरकार को सिर्फ 69 शत्रु संपतियां ही मौके पर मिली, बाकी 68 की खोजबीन जारी
PENPOINT, DEHRADUN : केंद्र सरकार ने देश में शत्रु शत्रु संपत्तियों को बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। देश भर में एक लाख करोड़ से अधिक कीमत की साढ़े 12 हजार से अधिक शत्रु संपति है। आपको जानकारी हैरानी होगी कि उत्तराखंड में भी डेढ़ सौ के करीब शत्रु संपति चिन्हित हुई है जिनकी कीमत भी अरबों रूपये में है। जो इस प्रक्रिया के तहत अब बेची जा रही है। लेकिन, अचरज की बात यह है कि यहां आधा शत्रु संपत्तियां कहां गई इसकी खबर सरकार को भी नहीं है, लिहाजा अब यहां गायब शत्रु संपत्तियों को खोजने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है।
1947 में देश के बंटवारे के अलावा 1962 में चीन, 1965 और 1971 पाकिस्तान के खिलाफ हुई जंग के दौरान या उसके बाद भारत छोड़कर पाकिस्तान या चीन चले गए नागरिकों को भारत सरकार शत्रु मानती है। भारत सरकार ने 1968 में शत्रु संपत्ति अधिनियम लागू किया था, जिसके तहत शत्रु संपत्ति की देखरेख एक कस्टोडियन को दी गई। केंद्र सरकार में इसके लिए कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी विभाग भी है, जिसे शत्रु संपत्तियों को अधिग्रहित करने का अधिकार है। भारत छोड़ पाकिस्तान और चीन में बस गये लोगां की संपतियों की सरकार पहचान कर उन्हें बेचने की तैयारियों में जुटी है। इससे पहले भी सरकार की ओर से करीब साढ़े 3 हजार करोड़ रूपये शत्रु संपतियों के निपटारे से जुटाए थे। इसके बाद भी करीब 12661 ऐसी शत्रु संपतियों की पहचान हुई जिन्हें अब बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
केंद्र सरकार की ओर से जब शत्रु संपत्ति का भौतिक सत्यापन किया गया तो पाया गया कि ज्यादातर संपत्तियों पर अवैध कब्जे हैं। राज्य सरकार की ओर से इन्हें अवैध कब्जों से मुक्त करवाने के लिए विशेष अभियान चलाने पड़े।
उत्तराखंड में भी डेढ़ सौ के करीब शत्रु संपति की पहचान हुई जिसमें से आधे तो सरकार ने अपने कब्जे में ले लिए थे लेकिन आधे के करीब शत्रु संपति कहां है किसके कब्जे में यह पता नहीं चल सका है। हिंदुवादी संगठन दावे करते हैं कि बाकी शत्रु संपतियों पर मुस्लिमों ने कब्जा जमाया हुआ है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बंया करती है। बताया जाता है कि अधिकांश शत्रु संपतियों पर या तो सरकारी दफ्त संचालित हो रहे हैं या फिर सरकारी अफसरों के आवास में तब्दील कर दिए गए हैं।

राज्य सरकार ने 2020 में 69 ऐसी संपत्तियां खोज ली  थीं, जिन्हें सरकार में निहित किया जा चुका है। लेकिन तब तक 68 संपत्तियों का पता नहीं लग सका था। इन्हें चिन्हित करने का काम जारी है। सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को इन संपत्तियों की जांच का काम प्राथमिकता से करने के निर्देश दिए हैं।

फिलहाल पांच जिलों हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, देहरादून, नैनीताल और अल्मोड़ा में 69 शत्रु संपत्तियों का पता चला है। ये सभी संपत्तियां शहरी क्षेत्रों में होने की वजह से इनका मूल्य कई सौ करोड़ बताया जा रहा है।
देहरादून शहर, मसूरी, नैनीताल शहर और ऊधमसिंह नगर में किच्छा, ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार में भगवानपुर, ज्वालापुर समेत कई स्थानों पर शत्रु संपत्ति होने की जानकारी सरकार के पास है। सरकार इन संपत्तियों पर मौजूदा कब्जे या अतिक्रमण के बारे में सही जानकारी जुटा रही है। इस बारे में जिलाधिकारियों को विस्तृत जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। प्रशासन की टीम मौके पर जाकर संपत्तियों की जांच करेगी। अन्य 68 शत्रु संपत्तियों के बारे में सरकार के पास जानकारी नहीं है। इन संपतियों की पहचान के लिए इन दिनों जोर शोर से सर्वे किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि अधिकांश संपतियां हरिद्वार जनपद के विभिन्न कस्बों में स्थित है।

2020 में जिलेवार चिह्नित शत्रु संपत्तियों की संख्या
हरिद्वार               26
ऊधमसिंहनगर       27
देहरादून                06
नैनीताल               06
अल्मोड़ा               04

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