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VIRAL : घोड़े की पीठ पर चलती फिरती अनोखी लाइब्रेरी

– नैनीताल के कोटबाग क्षेत्र में घोड़े पर सवार होकर लाइब्रेरी पहुंच रही है दूर दुर्गम गांवों में बच्चों के पास, बच्चों को मिल रही साहित्य और नैतिक शिक्षा की किताबें
PEN POINT, DEHRADUN : बीते दिनों जब भारी बारिश के चलते नैनीताल जिले के दूरस्थ इलाकों में मोटर मार्ग बंद हो गए थे और बच्चों के लिए स्कूल तक पहुंचना मुश्किल हो गया था तो एक घोड़ा गांव गांव पहुंचकर बच्चों को पढ़ने के लिए किताबें उपलब्ध करवा रहा था। इन दिनों मीडिया में चर्चा का विषय बना ‘घोड़े पर चलती फिरती लाइब्रेरी‘ के जरिए दूर दराज के गांवों तक घोड़े पर सजा पुस्तकालय बच्चों तक पहुंच कर उन्हें किताबें पढ़ने का मौका दे रहा है। नैनीताल निवासी 29 वर्षीय युवा शुभम बंधानी की ओर से शुरू की गई इस पहल को खूूब सराहा जा रहा है।

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अमूमन पुस्तकालय का जिक्र सुनते ही एक कमरे में आलमारियों में करीने से सजी किताबों की तस्वीर नजरों के सामने आ जाती है। इसके अलावा बस और टैक्सी में चलती फिरती लाइब्रेरी भी आपने कई बार देखी होगी लेकिन राज्य के नैनीताल के दूर दराज वाले गांवों में इन दिनों घोड़े पर चलती फिरती लाइब्रेरी से लोगांे का वास्ता पहली बार पड़ रहा है। एक गैर सरकारी संस्था हिमोत्थान व संकल्प यूथ फाउंडेशन संस्था की मदद से घोड़े की पीठ पर चलती-फिरती लाइब्रेरी यानी घोड़ा लाइब्रेरी शुरू की गई है। नैनीताल के उन गांवों में जहां भारी बारिश से संपर्क मार्ग बंद हो गए थे और जिन गांवों में संचार की सुविधा नहीं है उन गांवों तक घोड़े पर सजी किताबें पहुंचकर बच्चों को पढ़ने का मौका उपलब्ध करवा रही है। लाइब्रेरियन का कोर्स कर चुके नैनीताल के कोटाबाग के आंवलाकोट निवासी शुभम बंधानी के संकल्प यूथ फाउंडेशन ने हिमोत्थान की मदद से इस अनूठी लाइब्रेरी को शुरू किया है। इस लाइब्रेरी के जरिए बच्चों को सामान्य ज्ञान, प्रेरक कहानियां और नैतिक शिक्षा संबंधी पुस्तकें दी जा रही हैं। इस लाइब्रेरी का संचालन कर रहे युवाओं की माने तो सरकार की ओर से पाठ्यक्रम की पुस्तकें स्कूलों में मिल जाती हैं, जबकि इस लाइब्रेरी के जरिए बच्चों को साहित्य व नैतिक शिक्षा से जोड़ना है।

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शुभम बंधानी बताते हैं कि इस साल जून महीने में जब भारी बारिश के चलते नैनीताल के दुर्गम इलाकों के संपर्क मार्ग बंद हो गए थे तो बच्चों तक साहित्य और नैतिक शिक्षा से जुड़ी पुस्तकों को पहुंचाने के लिए यह विचार मन में आया। उनकी माने तो घोड़े खच्चर पहाड़ों में सामान पहुंचाने का सबसे पुराने विकल्प के तौर पर प्रयोग किए जाते रहे हैं और घोड़े खच्चरों की मदद से ध्वस्त मार्गों के जरिए दुर्गम इलाकों में सामग्री पहुंचाई जा सकती है इसके चलते घोड़े पर चलती फिरती लाइब्रेरी का विचार आया। सबसे पहले बाघिनी गांव से घोड़ा लाइब्रेरी शुरू करने का निर्णय लिया। इस गांव के लोगों की मदद से एक घोड़ा मिला। घोड़े की पीठ पर सवार लाइब्रेरी नैनीताल के जलना, तोक व आलेख गांव तक पहुंच गई। युवाओं की टोली अब तक 300 पुस्तकें बांटी जा चुकी हैं।

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