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मानसून : अगस्त में चेरापूंजी से ज्यादा बादल ऋषिकेश में बरसे !

Pen Point, Dehradun : अगस्त महीने के अंत तक मानसून कमजोर पड़ चुका है। उत्तराखंड लगभग सभी हिस्सों में अब धूप खिल रही है, जिससे निचले इलाकों में गर्मी और उमस बढ़ी है। जबकि पहाड़ों में मानसून खुशनुमा हुआ है। राज्य में भले ही मानसून इस बार सामान्य रहा हो। लेकिन राज्य के तराई और मैदानी इलाकों में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है। अगस्त माह में के पहले तीन हफ़ते इन इलाकों में बहुत बारिश हुई। आलम यह रहा कि बारिश की इस अवधि में ऋषिकेश में चेरापूंजी से ज्यादा बारिश हुई। पर्यावरण पत्रिका डाउन टु अर्थ के मुताबिक अगस्त के पहले तीन सप्ताह के दौरान उत्तराखंड के ऋषिकेश शहर में हुई भारी बारिश ने भारत के सबसे अधिक बारिश वाले क्षेत्र चेरापूंजी को पछाड़ दिया। 1 से 25 अगस्त 2023 के दौरान ऋषिकेश शहर ने देश में सबसे अधिक बारिश वाले शहर का रिकॉर्ड कायम किया। दक्षिण कोरिया में जेजू नेशनल यूनिवर्सिटी के टाइफून रिसर्च सेंटर के शोध वैज्ञानिक विनीत कुमार सिंह के अनुसार, 1 अगस्त से 25 अगस्त के बीच शहर में 1901 मिमी बारिश हुई।

इस बारिश के कारण ऋषिकेश में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए थे और जन जीवन पूरी तरह अस्त व्यस्त हो गया था। लगातार हो रही भारी बारिश के कारण गंगा नदी के तटवर्ती इलाकों को खतरा पैदा हो गया था, जबकि हरिद्वार ऋषिकेष हाईवे पर कई जगह नदी का पानी सड़क पर बहने लगा। कई दिनों तक गंगा खतरे के निशान से उपर बहती रही और दीवार गिरने से एक आदमी की मौत भी हो गई। यह तब है जब उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में सामान्य बारिश हो रही थी। अगर पहाड़ों में भी मानसून कमजोर नहीं पड़ता तो हालात बिगड़ सकते थे।

इसके अलावा इस बार चमोली और उत्तरकाशी जिले के कुछ हिस्सों में मानसून के दौरान भारी बारिश से नुकसान हुआ। खास तौर बड़े पैमाने पर मुख्य और लिंक सड़कें कई दिनों तक बाधित होती रही। इस स्थिति के कारण सरकार को चारधाम यात्रा भी रोकनी पड़ी। इसके बावजूद उफनाते नदी नालों और भूस्खलन की चपेट में आने से यात्रियों समेत स्थानीय लोगों की मौतें हुई। यही स्थिति पड़ोसी राज्य हिमालय प्रदेश में भी हुई। गृह मंत्रालय के आपदा प्रबंधन प्रभाग के आंकड़ों के अनुसार, 1 अप्रैल से 27 अगस्त के बीच हिमाचल प्रदेश में बाढ़ और भूस्खलन के कारण 192 मौतें हुई हैं, जबकि उत्तराखंड में यह संख्या 81 है।

विशेषज्ञों के अनुसार अगस्त महीने में अगस्त में अधिकांश अत्यधिक वर्षा मॉनसून के अंतिम यानी विराम चरण में होने के कारण हुई है। मॉनसून का यह विराम चरण उस अवधि को कहा जाता है जब मानसून ट्रफ बनता है। ट्रफ यानी कम दबाव का एक विस्तारित क्षेत्र है जो मौसम के दौरान देश भर में अधिकांश वर्षा का कारण बनता है। यह ट्रफ उत्तर पश्चिम और मध्य भारत के कुछ हिस्सों में अपनी सामान्य स्थिति से उत्तर की ओर बढ़ता है।
इस विराम चरण के दौरान बारिश का पैटर्न हिमालय की तहटी यानी घाटियों या तराई वाले इलाके की ओर बढ़ जाता है और वहां भारी बर्षा होती है। आम तौर पर घाटियों में बादल फटने की घटना भी इसी दौरान होती हैं। जबकि देश के बाकी हिस्से में इस दौरान बारिश नहीं या बेहद मामूली होती है।

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