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कपाट बंद : माँ यमुना खरसाली तो, बाबा केदारनाथ अगले छः माह यहाँ देंगे दर्शन !

PEN POINT, RUDRAPRAYAG : बुधवार 15 नवम्बर की सुबह 8:30 बजे बाबा केदारनाथ के कपाट पूर्व परम्परानुसार शीतकाल के लिए बन्द हो गये हैं। भारतीय सेना के बैण्ड की मधुर ध्वनि व श्रद्धालुओं के कण्ठ से भोले के जयकारों के बीच विधि विधान व वैदिक मंत्रोच्चार के साथ कपाट बन्द होने की प्रक्रिया प्रचलित हुई। निर्धारित परम्पराओं व पूजा अर्चना के उपरान्त बाबा की डोली ने केदारनाथ धाम से अपने निर्धारित पड़ाव रामपुर के लिए प्रस्थान कर लिया है।

डोली का आज रात्रि प्रवास रामपुर में रहेगा। दिनांक 16 नवम्बर 2023 को बाबा केदार की उत्सव डोली रामपुर से प्रातःकाल प्रस्थान कर फाटा, नारायणकोटि होते हुए रात्रि विश्राम हेतु श्री विश्वनाथ मन्दिर गुप्तकाशी पहुंचेगी। दिनांक 17 नवम्बर 2023 को भगवान्के दारनाथ की उत्सव डोली प्रातः काल श्री विश्वनाथ मन्दिर गुप्तकाशी से प्रस्थान कर लगभग 11 बजे पंच केदार गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मन्दिर ऊखीमठ में प्रवेश करेगी तथा परम्परानुसार अपने गद्दी स्थल पर विराजमान रहेंगे।

बता दें की इस साल ऐतिहासिक रूप से केदारनाथ धाम यात्रा में तकरीबन साढ़े 19 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा केदार के दर्शन किये गये हैं। यह संख्या चारों धामों में सबसे ज्यादा दर्ज की गयी है.

'Pen Point

वहीं  दूसरी तरफ भैयादूज के मौके पर आज बुधवार को सुबह 11बजकर 57 मिनट पर विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम के कपाट वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। अब अगले छः महीने तक मां यमुना के दर्शन उनके शीतकालीन प्रवास खुशीमठ (खरसाली) में किए जा सकते हैं।

भैया दूज के पावन पर्व पर बुधवार सुबह मां यमुना के शीतकालीन प्रवास खरसाली से शनिदेव की यमुनोत्री धाम पहुंची। जहां विधिवत पूजा अर्चना एवं हवन यज्ञ क्रिया के बाद 11 बजकर 57 मिनट पर अभिजीत मुहूर्त में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शीतकाल के लिए यमुनोत्री धाम के कपाट बंद कर दिए गये। इस दौरान धाम में सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे। कपाट बंद करने के बाद मां यमुना की डोली यमुनोत्री धाम से शनि देव की डोली की अगुवाई में अपने शीतकालीन प्रवास खुशीमठ के लिए रवाना हुई ।

गौरतलब है कि अगले साल पुनः अक्षय तृतीया के पर्व पर ग्रीष्म काल के लिए यमुनोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे। इस यात्रा वर्ष में यमुनोत्री धाम में दर्शनों के लिए साढ़े सात लाख श्रद्धालु पहुंचे।

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