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रामविलास यादव: इस IAS अफसर के पास थी क्या नोट छापने की मशीन

भ्रष्ट अधिकारी
– आईएएस रामविलास यादव के हाथ लगा था क्या खजाना, चार सालों में कमाई के मुकाबले कई गुना के करीब ज्यादा खर्ची रकम, फिलहाल जेल में
– प्रवर्तन निदेशालय ने 21 करोड़ रूपए की संपति को किया है जब्त, अभी भी करोड़ों की संपतियों की चल रही जांच
PEN POINT, DEHRADUN : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भ्रष्टाचार के आरोपी पूर्व आईएएस रामविलास यादव के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में यादव और उनके परिवार की 20 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को अटैच किया गया है। इनमें 18 करोड़ रुपये की चल और दो करोड़ रुपये से अधिक की अचल संपत्तियां शामिल हैं। ईडी ने यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश के लखनऊ और उत्तराखंड के देहरादून में की है।
हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय ईडी ने जो खुलासे किए हैं उससे चर्चा शुरू हो गई है कि आईएएस रहते हुए रामविलास यादव के हाथ क्या कुबेर का खजाना लग गया था या फिर उनके पास नोट छापने की मशीन थी। सिर्फ चार साल में ही 78 करोड़ रूपए की कमाई के बदले 21 करोड़ रूपए से अधिक की रकम खर्च कर अकूत संपति जोड़ने वाले रामविलास यादव फिलहाल तो जेल में है लेकिन सवाल यह है कि जब यादव धड़ाधड़ संपतियां जोड़ रहे थे तो फिर सरकार और शासन आंखें मूंदे क्यों बैठा था। बीते साल राज्य सरकार के आदेश पर विजिलेंस ने आईएएस रामविलास यादव की जांच शुरू की थी। सामने आया कि यादव की वर्ष 2013 से 2016 के बीच ज्ञात स्रोतों जैसे की तनख्वाह, निवेश व अन्य वैध तरीको से उन्होंने 78 लाख रुपये कमाए थे। जबकि, यादव ने इन चार सालों में 21.40 करोड़ रुपये खर्च किए। इतनी बड़ी रकम से रामविलास यादव ने लखनऊ और देहरादून में कई संपत्तियां जोड़ी थीं। विजिलेंस ने जांच के बाद जब यादव की इन संपतियों की सूची बनाकर यादव से इन संपतियों के बारे में जानकारी मांगी तो रामविलास यादव के पास कोई जवाब नहीं था। लिहाजा, बीते साल 23 जून को विजिलेंस ने नौ घंटे की पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, 30 जून 2022 यानि गिरफ्तारी के सात दिन बाद ही रामविलास यादव को रिटायर होना था। लिहाजा, राज्य के इस आईएएस अफसर को जेल से ही रिटायर होना पड़ा। विजिलेंस ने चार्जशीट में यादव की संपत्ति को ज्ञात स्रोत से 2626 प्रतिशत अधिक बताया था।

'Pen Point
भ्रष्टाचार, आय से अधिक संपति, हवाला समेत अन्य आर्थिक अपराधों के आरोप में रामविलास यादव फिलहाल जेल में है, वहीं, अब ईडी ने भी उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। PEN POINT

अब इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानि ईडी भी आ गया है। अवैध रूप से धन के लेन देन, संपति जोड़ने और हवाला समेत कई अन्य आर्थिक अपराधों में रामविलास यादव और उसके परिजनों की संलिप्तता की संदिग्धता के चलते ईडी ने भी इस मामले में जांच शुरू की। बीते 19 मई को ईडी ने सुद्धोवाला जेल से रामविलास यादव को औपचारिक गिरफ्तार कर पूछताछ शुरू की। 23 मई को यादव को चार दिन की कस्टडी में लिया गया। इस दौरान लखनऊ और देहरादून में पूछताछ की गई। सभी संपत्तियों की मौके पर जाकर ईडी ने जांच की।
ED ने कर दी अवैध संपति अटैच
मई महीने में लखनऊ और देहरादून में प्रवर्तन निदेशालय ईडी की ओर से रामविलास यादव को मौके पर ले जाकर संपति का जायजा लिया गया और पूछताछ की गई। उसके बाद अब ईडी की ओर से यह सारी संपति जब्त कर दी गई है। ईडी के अनुसार, अवैध रूप से कमाए गए धन से यादव ने परिवार के सदस्यों के नाम पर चार जमीनें और एक फ्लैट खरीदा था। इसके अलावा लखनऊ में अपने घर, जनता विद्यालय, गुडंबा, लखनऊ, भवन समूह और स्व. रामकरन दादा मेमोरियल ट्रस्ट गाजीपुर की इमारतों को बनाने में भी इस धन का प्रयोग किया है। ईडी ने उनके परिवार के सदस्यों की 18.33 करोड़ रुपये की चल और लगभग 2.03 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति को अटैच किया है। अचल संपत्तियों में विभिन्न बैंकों में परिवार के नाम की एफडी शामिल हैं। जबकि, अचल संपत्तियों में पैतृक गांव की जमीन शामिल है।
इन संपतियों पर ED की नजर
हालांकि ईडी ने यादव की 21 करोड़ रूपए से अधिक कीमत की संपति को अटैच कर लिया हो लेकिन ईडी की नजर अभी यादव की अन्य जोड़ी गई संपतियों पर भी है। जिसकी ईडी अभी जांच कर रही है। जानकारी के अनुसार रामविलास यादव ने देहरादून में भी छह प्लॉट खरीदे थे। वह उत्तर प्रदेश प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे। आईएएस बनने के बाद वह समाजवादी पार्टी सरकार के दौरान लखनऊ विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष रहे। कई साल तक उत्तराखंड में समाज कल्याण विभाग के अपर सचिव भी रहे।

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