रानीखेत में क्यों चल रहा है आजादी का आंदोलन ?
Pen Point (Dehradun) : रानीखेत के गांधी चौक पर धरने की शक्ल में एक सत्याग्रह चल रहा है। जिसमें नगर के कई लोग रोजाना जुटते हैं। उनकी मांग है कि छावनी क्षेत्र के अव्यावहारिक कायदे कानूनों से उन्हें आजादी दी जाए। यह मांग भले ही पुरानी है, लेकिन है एकदम वाजिब। दरअसल, अंग्रेजों के जाने के बाद छावनी क्षेत्रों में नागरिकों को पूरी तरह आजादी नहीं मिली है। आज भी वो दोयम दर्जे का जीवन जीने को मजबूर हैं। रानीखेत के भी ऐसे ही हालात हैं। यहां लोगों को जमीन का मालिकाना हक नहीं मिलता। इसकी जगह पर उन्हें लीज भूमि में पडे़ मलबे का ही मालिक बनाया गया है। यहां तक कि मकान बनाने से लेकर लीज नवीनीकरण और दाखिल खारिज या फिर जमीन का व्यावसायिक उपयोग बदलने जैसे नियमों में इतने पेंच है कि लोग छटपटा कर रह जाते हैं। यह हालात ऐसे ही हैं जैसे गुलामी के समय हुआ करते थे। इस गुलामी से बाहर निकलने की कशमकश में रानीखेत के जागरूक लोग संगठित हुए हैं। बीते छह महीने से धरना प्रदर्शन के जरिए वे नागरिक आबादी का विलय नगर पालिका में करने की मांग लगातार उठा रहे हैं।
बीते साल जब छावनी परिषद के चुनाव की घोषणा हुई थी, तब यहां के नागरिकों ने चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया था। लेकिन रक्षा मंत्रालय ने चुनाव रद्द कर छावनी क्षेत्र के नागरिकों को नजदीकी राज्य निकायों में शामिल करने का फैसला किया। उसके बाद चुनाव बहिष्कार का यह आंदोलन रानीखेत चिलियानौला नगर पालिका परिषद के विलय की मांग की ओर मुड़ गया। जिसे हरीश रावत सरकार के दौरान प्रस्तावित किया गया था।
धरने पर बैठे कैलाश पांडे के मुताबिक छावनी क्षेत्र में तमाम दुश्वारियां हैं, जिन्हें दूर करने के लिये इस क्षेत्र से बाहर होना ही एकमात्र विकल्प है। पिछली छह महीने से रोजाना हम लोग यहां धरना दे रहे हैं। इसके अलावा रैलियां भी निकाली जाती हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता गिरीश भगत बताते हैं कि इस बारे में रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट की ओर से उन्हें भरोसा दिया गया है। लेकिन जब तक अंतिम फैसला नहीं हो जाता, यह आंदोलन जारी रहेगा। धरना स्थल पर रोजाना कई लोग पहुंचते हैं, जहां नगर के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होती है और स्थानीय अधिकारियों से मुलाकात कर उन समस्याओं के निराकरण को कहा जाता है।
उल्लेखनीय है कि बीते साल केंद्र सरकार हिमाचल प्रदेश के योल को छावनी क्षेत्र से बाहर कर चुकी है। योजना है कि 61 छावनियों को एक-एक कर समाप्त कर इन सैन्य क्षेत्रों को विशिष्ट सैन्य स्टेशन के रूप में तैयार किया जाएगा। जिससे रानीखेत के लोगों के मन में भी उम्मीद जगी है। हालांकि फिलहाल वो इस आजादी के इस आंदोलन को जारी रखने का मन बनाए हुए है।