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विश्व स्वास्थ्य दिवस : क्यों होता है ये आयोजन ?

PEN POINT, DEHRADUN: अच्छा स्वास्थ्य इंसान की सबसे बड़ी पूॅंजी होती है, जो व्यक्ति को बीमारियों से लड़ने की ताकत देता है। जीवन की रोज मर्रा की मुसीबतों से आसानी से लड़ने का सबसे बड़ा हौसला व्यक्ति के स्वास्थ्य से सीधा जुड़ा हुआ है। स्वास्थ्य से सम्पन्न व्यक्ति में काम करने की ज्यादा ताकत होती है। मानव विकास की पूरी परिकल्पना शिक्षा और स्वास्थ्य के बिना नहीं की जा सकती है। लिहाजा ऐसे में आज विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर दुनियाभर में कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं।

विश्व स्वास्थ्य दिवस विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO की तरफ हर साल 7 अप्रैल को मनाया जाता है। इस दिन WHO दुनिया भर में स्वास्थ्य सम्बन्धी गंभीर मुद्दों पर सरकारों और आम जन का ध्यान ध्यान खींचने के प्रयास करता है। इस मौके पर खास किस्म के अभियान चलाए जाते हैं। आज दूनिया भर में स्वास्थ्य उपलब्धियों का आयोजन किया जाता है, इन कार्यक्रमों में स्वास्थ्य सम्बन्धी खतरों को सामने लाने और दुनिया भर में इस विषय पर जागरूकता फैलाने की कोशिशें की जाती है।

WHO स्वास्थ्य को बेहतर बनाने वाले मौके के रूप में मानता है। इस दिन पर विश्व स्वास्थ्य संगठन दुनिया भर में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धताए स्वास्थ्य संसाधनों के उपयोग और स्वस्थ जीवन जीने की अहमियत के बारे में लोगों को रूबरू कराता है।

विश्व स्वास्थ्य दिवस के आयोजन के लिए हर साल नइ्र और बेहद खास थीम तय की जाती है, जो स्वास्थ्य से संबंधित जरूरी विषयों पर ध्यान केंद्रित करती है।

कदम जो सरकार को उठाने चाहिए 

जब स्वास्थ्य की बात आती है, तो सरकार जनता में स्वस्थ व्यवहार को बढ़ावा देने के लिए कई तरीके अपना सकती है। जंक फूड पर टैक्स लगा सकती है। इसके अलावा पार्क और स्टेडियम बनाने जैसे अन्य तरीके भी हैं, जो लोगों को स्वस्थ रहने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

ग्रामीण स्तर तक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों का मजबूत नेटवर्क स्थापित किया जाना चाहिए, जिसमें ऐसे हर अस्पताल में डॉक्टर मरीज़ों को देखने की सुविधाएं दिन में दो बार कम से कम 4 घंटे सुबह व 2 घंटे शाम को दी जानी चाहिए।

बता दें कि 1948 में डब्लयूएचओ ने प्रथम विश्व स्वास्थ्य सभा का आयोजन किया था। जिसके बाद से सभा ने प्रत्येक वर्ष 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया।

डब्ल्यूएचओद्ध दुनिया के तमाम देशों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर आपसी सहयोग एवं मानक विकसित करने की संस्था है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के 193 सदस्य देश तथा दो अन्य सहयोगी सदस्य हैं। यह संयुक्त राष्ट्र संघ की एक अनुषांगिक इकाई है। इस संस्था की स्थापना 7 अप्रैल 1948 में की गयी थी। इसी लिए हर साल 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। भारत भी विश्व स्वास्थ्य संगठन का एक सदस्य देश है और इसका भारतीय मुख्यालय भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है।

साल 2023 के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने थीम हेल्थ फॉर ऑल रखी हैण् ये एक अनूठी थीम है जिसके जरिए हर किसी को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होने की सलाह दी गई हैण् डब्ल्यूएचओ कहता है कि भले ही कोई कठिन परिस्थितियों में क्यों न हो वित्तीय या दूसरी मदद के जरिए स्वास्थ्य सेवाएं मिलना उसका अधिकार है

राजस्थान बना स्वास्थ्य का अधिकार देने वाला पहला राज्य

राजस्थान स्वास्थ्य का अधिकार बिल 2022 को राजस्थान विधानसभा में 22 सितंबर 2022 को पेश किया गया। यह स्वास्थ्य एवं कल्याण में समान अधिकारों के संरक्षण और प्राप्ति का प्रावधान करता है। राजस्थान देश का पहला राज्य बन गया है जहां ष्राइट टू हेल्थष् बिल पास कर दिया गया है।

यह कानून राज्य के हर व्यक्ति को सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में बाह्य रोगी विभाग ओपीडी सेवाओं और रोगी विभाग आईपीडी सेवाओं का मुफ्त लाभ उठाने का अधिकार देता है। इसके साथ ही चुनिंदा प्राइवेट अस्पतालों में समान स्वास्थ्य सेवाएं मुफ्त में मुहैया कराई जाएंगी। यह विधेयक जनता के हित में बताया जा रहा हैे। उन्होंने कहा कि ऐसी शिकायतें मिली हैं कि चिरंजीवी कार्ड होने के बावजूद कुछ प्राइवेट अस्पताल चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के मरीजों का इलाज नहीं करते हैं और इसलिए यह बिल लाया गया है। विधेयक को पिछले साल सितंबर में विधानसभा में पेश किया गया था, लेकिन इसे प्रवर समिति के पास भेज दिया गया था। पारित कर दिया गया।

इस कानून के तहत राजस्थान के लोगों को अस्पतालों और क्लीनिक से मुफ्त स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने का अधिकार दिया गया। इसमें प्राइवेट अस्पताल भी शामिल होंगे। सरकारी और प्राइवेट अस्पताल इलाज से अब मना नहीं कर सकेंगे। यहां के हर व्यक्ति को इलाज की गारंटी मिलेगी। इमरजेंसी की हालत में प्राइवेट हॉस्पिटल को भी फ्री इलाज करना होगा । प्राइवेट हॉस्पिटल में इमरजेंसी में फ्री इलाज के लिए अलग से फंड बनेगा। ऐसे मामलों में किसी भी तरह की हॉस्पिटल स्तर की लापरवाही के लिए जिला और राज्य स्तर पर प्राधिकरण बनाया जाएगा। इसमें सुनवाई होगी बिल के उल्लंघन से जुड़े मामले में प्राधिकरण के फैसले को किसी सिविल कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकेगी। दोषी पाए जाने पर 10 से 25 हजार रुपए जुर्माना लगाया जा सकता है। पहली बार उल्लंघन पर जुर्माना 10 हजार और इसके बाद 25 हजार तक होगा।

उत्तराखंड में पलायन का बड़ा कारण

खराब शिक्षा सुविधाओं के अलावा बेहद खराब स्वास्थ्य बुनियादी ढांचेे को उत्तराखण्ड में पलायन का बड़ा कारण माना जाता है। इस पहाड़ी राज्य की ज्यादातर आबादी को प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं भी ठीक से उपलब्ध नहीं हो पाई हैं। सवा दो दशक के बाद भी इस छोटे से राज्य में लोगों को साधारण दवाइयों से लेकर ब्लड टेस्ट एक्सरे, अल्ट्रा साउंड जैसी मूलभूत स्वास्थ्य जरूरतों के लिए तीन-चार घंटे का सफ़र तय करना पड़ता है। जहां ये सुविधाएं मयस्सर हैं भी, वहां कई तरह की दिक्कतों के कारण आपात स्थितियों में लोगों को शहरों की तरफ जाना पड़ता है। इसके लिए हर हाल में अलग से पैसा खर्च करने पड़ते हैं।

सरकार का दावा है कि वह बीमारी के बोझ को कम करने के लिए स्वास्थ्य के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं। इसके लिए पानी की स्वच्छता जैसे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष स्वास्थ्य निर्धारकों को प्रभावित करके अपने लोगों के स्वास्थ्य की स्थिति और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के भरसक प्रयासों में जुटी हुई है।

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