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क्यों बन रहा कुख्यात अपराधियों के लिए उत्तराखंड महफूज ठिकाना ???

– राज्य में अलग अलग हिस्सों में बीते सालों में कुख्यात अपराधियों ने अपना ठिकाना बनाया, देश के नामी गिरामी अपराधियों ने अपराध को अंजाम देकर किया उत्तराखंड रूख

PEN POINT, DEHRADUN : हाल ही में फरार चल रही माफिया अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता के उत्तराखंड में छिपने की आशंकाओं से जुड़ी खबरों ने हलचल मचाई थी। तो बीते शुक्रवार को राजस्थान पुलिस ने विकासनगर क्षेत्र के मटोगी गांव में दो महीनों से छिपे हत्या के दो आरोपियों को गिरफ्तार किया। इन दोनों कथित गौ रक्षकों ने फरवरी महीने में राजस्थान के भरतपुर में दो मुस्लिम युवकों को उनकी गाड़ी में जिंदा जला दिया था। गौ रक्षा के नाम पर हुए इस जघन्य हत्याकांड के बाद बजरंग दल से जुड़े इन अपराधियों पर राजस्थान पुलिस ने 10-10 हजार का इनाम घोषित किया था। हरियाणा निवासी मोनू राणा और गोगी नाम के इन दोनों बदमाशों ने अपने दो अन्य साथियों के राजस्थान के भरतपुर में इस जघन्य हत्याकांड को अंजाम देकर उत्तराखंड में शरण ले ली। यहां विकासनगर के मटोगी गांव में हरियाणा निवासी एक व्यक्ति के रिर्जाट में यह चार अपराधी छिपे थे। दो अपराधी पुलिस के हाथ नहीं लग सके और वहां से भाग निकले।
उत्तराखंड अपराध के लिहाज से देश के सबसे शांत प्रदेशों में शामिल है। नेशनल क्राइम रेकार्ड ब्यूरो के हर साल आने वाले आंकड़े भी इसकी तस्दीक करते हैं। लेकिन, देहरादून, हरिद्वार और उधम सिंह नगर जैसे मैदानी जिले देश के कई नामी अपराधियों के छिपने का ठिकाना जरूर रहे हैं। बड़ी आपराधिक वारदातों को अंजाम देने के बाद राज्य के इन मैदानी जिलों में कई अपराधी शरण लेने पहुंचते हैं। समय समय पर इन अपराधियों की गिरफ्तारी से इस बात की पुष्टि होती रही है कि देवभूमि देश भर के अपराधियों के लिए महफूज ठिकाने के रूप में प्रचलित है।
बीते दिनों खलिस्तानी आतंकवाद को फिर से भड़काने के आरोपी अमृतपाल के उत्तराखंड में छिपे होने की खबरों ने भी खूब सुर्खियां बटोरी थी। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए प्रमुख संवेदनशील जगहों पर गहन चैकिंग अभियान भी चलाया। यह पहला मौका नहीं था जब पंजाब से बड़े अपराधी के उत्तराखंड में पनाह लेने की खबरें आम हुई हो। पंजाब के मशहूर गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या को अंजाम देने वाले छह शूटरों को उत्तराखंड पुलिस ने बीते साला उत्तराखंड में ही गिरफ्तार किया था। हेमकुंड साहिब यात्रा में यात्रियों के वेश में आए इन छह हत्यारोपितों को बीते साल मई महीने में उत्तराखंड पुलिस व पंजाब एटीएस ने शिमला बाईपास पर गिरफ्तार किया था।

देश के कुख्यात चीनू पंडित, सुनील राठी, भूरा, शकील पहलवान, मुखिया जैसे बड़े अपराधियों ने भी पुलिस से बचने के लिए लंबे समय तक देहरादून व अन्य मैदानी जिलों में अपना डेरा डाले रखा हालांकि ज्यादातर अपराधी अब जेल की सलाखों के पीछे हैं।
यह न तो पहला मौका है और न आखिरी मौका है जब देश के कई छोटे बड़े अपराधियों ने आपराधिक घटना को अंजाम देकर उत्तराखंड में सुरक्षित ठिकाना न खोजा हो।
साल 2014 में चर्चित नाभा जेल कांड में आतंकियों को भगाने के मुख्य आरोपी परमिंदर उर्फ पन्ना ने तो इस घटना को अंजाम देने के बाद देहरादून के रायपुर में एक घर किराए पर लेकर वहां लंबे समय तक पनाह ली और उस मकान को कई अन्य अपराधियों के लिए शरणस्थली में तब्दील कर दिया।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा भू माफिया गैंगस्टर यशपाल तोमर, यूपी का कुख्यात बदमाश शाहरूख, उत्तर प्रदेश का कुख्यात शार्प शूटर कपिल देव ने भी उत्तराखंड को ही अपनी पनाहगाह बनाया। हालांकि, बाद में यह अपराधी पुलिस के हत्थे जरूर चढ़े लेकिन तब तक यह अपराधी आराम से देवभूमि की ठंडी फिजाओं में खुद को पुलिस की नजर से महफूज रखे हुए थे।

इस मामले में पुलिस अधिकारियों का कहना है कि उत्तराखंड एक पर्यटन राज्य है जहां हर दिन हजारों की संख्या में देश विदेश से पर्यटकों की आवाजाही लगी रहती है ऐसे में अपराधियों को भी पता है कि वह आसानी से राज्य में आ जा सकते हैं लिहाजा वह अपराध को अंजाम देने के बाद राज्य के किसी इलाको को अपना ठिकाना बना लेते हैं लेकिन यह भी रिकार्ड है कि जिस भी अपराधी ने यहां पनाह ली उनमें से ज्यादातर पुलिस के हत्थे चढ़े।

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