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विश्व रंगमंच दिवस : मनोरंजन के साथ सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता का सशक्त जरिया..

PEN POINT : रंगमंच हमेशा से मनोरंजन के साथ ही विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर लोगों को जागरूक करने का सशक्त जरिया रहा है। कलाकारों के लिए तो रंगमंच सिनेमाई अभिनय से ज्यादा चुनौतीपूर्ण माना जाता है। क्योंकि इस विधा में रीटेक की कोई गुंजाईश नहीं होती है। इस विधा को दर्शकों के सामने जीवंत रूप में एक ही जगह में मंच पर प्रदर्शित करना होता है। सिनेमा की तरह आउटडोर जैसे अवसर नहीं होते। लेकिन बावजूद इसके इसमें किये गए अभिनय को ज्यादा प्रभावशाली माना जाता है।

आज विश्व रंगमंच दिवस है, इस मौके पर इस क्षेत्र से जुडी हुए कुछ बातें हम आपके साथ साझा कर रहे हैं..

अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच दिवस की स्थापना 1961 में नेशनल थियेट्रिकल इंस्टीट्यूट ने की थी। तब से यह आयोजन हर साल 27 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फैले नेशनल थियेट्रिकल इंस्टीट्यूट के तमाम केंद्रों में मनाया जाता है इसके अलावा रंगमंच से संबंध रखने वाली कई संस्थाएं और समूह भी इस दिन को बेहद ख़ास आयोजन की तौर पर आयोजित करते हैं। इस दिन को विशेष रूप से मनाए जाने के पीछे एक बहुत जरूरी अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संदेश देना होता है। यह सन्देश हर साल दुनिया के किसी न किसी जाने-माने प्रभावशाली रंगकर्मी की तरफ से रंगमंच और शांति की संस्कृति विषय पर उसके विचारों को दिनिया के सामने रखता है। 1962 में पहला अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संदेश फ्रांस की जीन काक्टे ने दिया था। वर्ष 2002 में यह संदेश देने का गौरव भारत के प्रसिद्ध रंगकर्मी गिरीश कर्नाड को हासिल हुआ था ।

जैसा कि आप जानते ही हैं कि आज हमारे सामने मनोरंजन के तमाम साधन उपलब्ध हैं। लेकिन इस क्षेत्र में काम करने वाली सबसे पुरानी विधा रंगमंच का प्रभाव आज भी कायम है। इसका शौक और पसंद करने वाले दर्शक बड़ी संख्या में दुनियाभर में मौजूद हैं और अपना काम पूरी सिद्दत से कर रहे हैं। यही वहज है कि हमेशा से ही थिएटर लोगों के मनोरंजन के प्रमुख साधनों में शामिल रहा है। यह न केवल मनोरंजन ही करता है बल्कि यह समाज को बहुत सारी जानकारियों और ज्ञान से रूबरू कराता है। हर साल, 27 मार्च को, दुनिया भर में विश्व रंगमंच दिवस मनाया जाता है। खास कर इसे थिएटर के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए मनाया जाता है।

विश्व रंगमंच दिवस का इतिहास

विश्व रंगमंच दिवस, जिसे WTD के रूप में भी जाना जाता है, वर्ष 1961 में अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्थान (ITI) द्वारा शुरू किया गया था। इस दिवस के प्रारंभ होने के बाद से ही, दुनिया भर के ITI केंद्र, अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच समुदाय के साथ, 27 मार्च को प्रतिवर्ष इस दिवस को मनाते हैं। दुनिया भर के थिएटर इस दिन को यादगार बनाने के लिए आयोजन करते हैं। इस तरह के आयोजन में, एक थिएटर व्यक्तित्व, जो थिएटर में अपने कामों के लिए जाना जाता है, आईटीआई के निमंत्रण पर विश्व थिएटर दिवस अंतर्राष्ट्रीय संदेश साझा करता है और प्रसारित करता है। संदेश में, वे शांति की संस्कृति के साथ, रंगमंच के विषय के अपने अनुभवों को साझा करते हैं।

पहला विश्व रंगमंच दिवस अंतर्राष्ट्रीय संदेश फ्रांस के जीन कोक्ट्यू(Jean Cocteau) द्वारा वर्ष 1962 में लिखा गया था। उस वर्ष के बाद से, आईटीआई केंद्र, जिनकी संख्या दुनिया भर में 90 से अधिक हैं, थिएटर पेशेवरों, अभिनेता, प्रेमी, स्कूल इत्यादि के साथ इस दिन को मनाते हैं। अंतर्राष्ट्रीय सन्देश का अनुवाद 50 से अधिक भाषाओं में किया जाता है, जो थियेटर में प्रस्तुति शुरू होने से पहले हजारों लोगों के लिए पढ़ा जाता है। इसके अलावा कई मीडिया माध्यमों के जरिये प्रकाशित -प्रचारित और प्रसारित भी किया जाता है।

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