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‘इवेंट मैनेजर 30 फीसदी कमीशन लेते हैं – पांडवाज ग्रुप

– केदारनाथ में आयोजित कपाटोद्घाटन कार्यक्रम में पांडवाज ग्रुप को न बुलाए जाने पर राज्य सरकार हुई सोशल मीडिया पर ट्रोल
– पांडवाज ग्रुप ने ट्वीट कर लगाया आरोप, मोटे कमीशन के चक्कर में आयातित कलाकारों को बुलाया जाता है
PEN POINT, DEHRADUN : केदारनाथ धाम कपाट खुलने के दौरान यात्रियों के मनोरंजन व कपाटोद्घाटन को भव्य बनाने के लिए राज्य सरकार ने कलाकारों का खूब जमवाड़ा लगाया। लेकिन, यह योजना सरकार पर ही उल्टी पड़ गई। लोक कलाकारों को नजरअंदाज कर बाहरी कलाकारों पर मोटी रकम खर्च करने पर राज्य सरकार सोशल मीडिया पर खूब ट्रोल हो रही है। लोगों ने केदारनाथ धाम में श्रीनगर स्थित पांडवाज ग्रुप को न बुलाए जाने पर खूब खरी खोटी सुनाई। वहीं पांडवाज ग्रुप ने भी दावा किया है कि सरकारी कार्यक्रमों में प्रस्तुति के लिए 30 फीसदी कमीशन की मांग की जाती है और उनके द्वारा कमीशन न दिए जाने पर उन्हें कार्यक्रम में नहीं बुलाया जाता।
उत्तराखंड के लोक गीतों को सहेजता पांडवाज ग्रुप, श्रीनगर स्थित यह संगीत बैंड लोक गीतों के साथ अनूठे प्रयोग करते हुए गढ़वाली, कुमाऊंनी गीतों के जरिए राज्य ही नहीं बल्कि देश दुनिया से तारीफ बटोर रहा है। लोकगीतों को शास्त्रीय संगीत के साथ नई धुनें ईजाद कर इस गु्रप ने खास पहचान बनाई है। यूट्यूब पर भी पांडवाज ग्रुप के 1 लाख 80 हजार से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं तो साथ ही पौने तीन करोड़ से अधिक व्यू हैं। इसके बावजूद भी राज्य में सरकारी कार्यक्रमों से यह ग्रुप नदारद पाया जाता है। अब ग्रुप ने आरोप लगाया है कि राज्य में होने वाले राजकीय कार्यक्रमों में आयोजन का प्रबंधन करने वाली कंपनियां 30 फीसदी तक कमीशन लेती है और इस वजह से राज्य के कार्यक्रमों में पांडवाज को नहीं बुलाया जाता।
असल में सारा विवाद तब शुरू हुआ जब केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के दौरान वहां हिंदी गायक रूप कुमार राठौर के साथ ही उनकी पत्नी सोनाली राठौर व बेटी रीवा राठौर को सांस्कृति प्रस्तुतियां देने के लिए बुलाया था। केदारनाथ कपाट खुलने के दिन शाम को राठौड़ परिवार की ओर से अलग अलग सांस्कृति प्रस्तुतियां दी गई। इसी दौरान इंदौर के युवाओं के बैंड ने भी यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए। साथ ही बीते दिनों मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से हर हर शंभू गाकर वायरल हुई अभिलिप्सा पांडा से भी मुख्यमंत्री आवास में मुलाकात कर केदारनाथ में कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया था।
ऐसे में बाहरी राज्यों के कलाकारों को केदारनाथ धाम में प्रस्तुति के लिए आमंत्रित करने के बाद प्रदेश सरकार सोशल मीडिया पर खूब ट्रोल हो रही है। लोगां ने सवाल उठाने शुरू किए कि अपनी गीतों, प्रस्तुतियों और लोक संस्कृति के संरक्षण की दिशा में काम कर रहे और खूब तारीफ बटोर रहे पांडवाज ग्रुप को इन कार्यक्रमों से दूर क्यों रखा गया। यह मामला बीते दो दिनों से सोशल मीडिया पर खूब ट्रैंड कर रहा है। केदारनाथ धाम में इंदौर के एक अनजान बैंड को मोटी रकम देकर प्रस्तुति दिलवाने से लेकर रूप कुमार राठौड़ के साथ ही उनकी पत्नी और पुत्री के कार्यक्रमों के आयोजन पर लाखों खर्च करवाने के फैसले और उस पर उत्तराखंड के मूल कलाकारों को कार्यक्रम से दूर रखने पर सरकार की खासी आलोचना हो रही है। वहीं, पांडवाज ग्रुप को केदारनाथ धाम कपाट खुलने के दौरान आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों से दूर रखने के साथ ही अन्य सरकारी कार्यक्रमों में भी न बुलाए जाने पर पांडवाज ग्रुप की ओर से भी टिप्पणी आई है। पांडवाज ग्रुप ने ट्वीट कर आरोप लगाए हैं कि उन्हें कार्यक्रमों में इसलिए नहीं बुलाया जाता है कि वह कमीशन नहीं देते हैं। पांडवाज ग्रुप के इस ट्वीट के मुताबिक

'Pen Point
‘कमीशन नहीं देते हैं हम इवेंट प्लानर को 30 पर्सेंट, पेमेंट ज्यादा तो कमीशन भी ज्यादा इसलिए आयातित कलाकार।’
पांडवाज ग्रुप का दावा है कि इवेंट आयोजक कलाकारों से 30 फीसदी तक कमीशन लेते हैं, इसलिए जितने महंगे कलाकातर बुलाए जाए उतना ज्यादा कमीशन। इस लिहाज से स्थानीय प्रसिद्ध कलाकारों को नकारा जा रहा है।
गौरतलब है कि केदारनाथ पर गाया ‘आदेश भोले बाबा’ गाना यूट्यूब पर खूब ट्रैंड हुआ था।

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