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डरी सहमी धामी सरकार ने आननफानन में लिए ये बड़े फैसले

PEN POINT, DEHRADOON : प्रदेश भर में बरोजगार युवाओं की मांगों को लेकर चल रहे आंदोलन को दबाने और ख़त्म करने को लेकर पुलिस और प्रशासन के तौर तरीके से उग्र हुए आंदोलन ने बड़ा रूप ले लिया। गुरूवार को राजधानी देहरादून से लेकर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में युवा सड़कों पर उतरे। लेकिन अचानक प्रशासन के साथ चल रही वार्ता के बीच भीड़ के साथ पुलिस बल की जोर आजमाइश ने पूरे मामले को बिगाड़ दिया।

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पुलिस ने जहाँ बेरोजगारों नौजवानों पर लाठियां बरसाई वहीँ भीड़ में घुसे उपद्रवी तत्वों ने आंदोलन को बदनाम करने के मकसद से पुलिस पर पथराव कर दिया। जिसमें बड़ी संख्या में युवा घायल हो गए। आंदोलित युवाओं के बीच पुलिस की कार्रवाई को लेकर और बुरा असर पड़ा। जिसके बाद प्रदेश ही नहीं देशभर में राज्य सरकार और पुलिस को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो गए। शाम तक लाठी चार्ज और पथराव की घटना सोशल मीडिया और मुख्यधारा की मीडिया की प्रमुख खबर के तौर पर सामने आई। इसका जबरदस्त दबाव सरकार पर साफतौर पर देखा गया। सरकार के मंत्रियों ने आंदोलित बेरोजगार युवाओं से अपील के वीडियो जारी किये। यहाँ तक कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने मीडिया और सोशल मीडिया को सरकार का पक्ष लेता हुआ एक वीडियो बयान जारी किया, जिसमें वे युवाओं से आंदोलन और उनकी मांगों को लेकर कदम उठाने के बारे में आश्वासन देते नजर आए। इस आंदोलन की गूँज दिल्ली के सियासी गलियारों तक भी पहुँची। कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने युवाओं पर हुए लाठी चार्ज की आलोचना की। उत्तराखंड कांग्रेस के नेताओ के बयान सामने आए। इससे धामी सरकार जबरदस्त दबाव में आती दिखी।

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बेरोजगार युवाओं का इस कदर खुलकर सरकार के खिलाफ़ स्वतः लामबंद हो कर सड़कों पर आना मुख्यंत्री और उनकी सरकार के लिए बड़ी मुसीबत बन सकता है। शायद यही बात रही की रात तक धामी सरकार ने डरे सहमे हालातों में भर्ती परीक्षा को लेकर नक़ल विरोधी कानून के प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया। वहीँ राज्य में हुई पुलिस भर्ती परीक्षा का भी रिजल्ट जारी करवाया गया। इससे सरकार के निर्णय लेने की टाइमिंग से अंदाजा लगया जा सकता है कि मुख्यमंत्री और उनके सलाहकार किसी भी तरह से इस आंदोलन को बड़ी और सियासी स्वरुप में बदलने की हर मुमिकिन कोशिशों में जुट गए।

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मुख्यमंत्री कार्यालय ने इसमें बेहद सक्रियता दिखाई और शासन के आला अफसरों से मंत्रणा कर त्वरित तौर पर प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता एवं सुचिता को सुनिश्चित करने के लिए नकल रोधी कानून का सीएम ने अनुमोदन कर दिया। इसे सरकार कि तरफ से प्रमुख और बड़े फैसले के रूप में पेश किया गया। गौरतलब है कि इसी कानून को लागू करने की तो बेरोजगार युवा मांग कर धरने पर बैठे थे। लेकिन किसकी सलाह पर उन्हें बलपूर्वक पुलिस के जरिये देर रात उठाने का निर्णय लिया गया। यह भी सियासी चर्चा का विषय बना हुआ है। बुधवार की रात धरनारत युवाओं को जिस तरह से उठाने की कोशिश की गयी उसी ने गुरूवार के आंदोलन की जमीन को मजबूती देने का काम किया। यही नहीं धामी सरकार के दबाव के चलते गुरुवार रात को ही पुलिस भर्ती परीक्षा का रिजल्ट तक उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को जारी करना पड़ा। शायद सरकार को लगा कि उसके इन निर्णयों से आंदोलन को थामा जा सकता है। बेरोगारों का एक तबका पुलिस भर्ती के रिजल्ट के सामने आने से हल्का हो जाएगा।

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वहीँ देहरादून के डीएम ने बेरोगारों के बंद की कॉल को देखते हुए देहरादून में धारा 144 लगा दी , साथ ही तमाम उपजिलाधिकारियों को अपने क्षेत्रों में कानून शांति और व्यवस्था बनाने को लेकर निर्देश जारी कर सख्त कदम उठाने के संकेत दिए।

क्या है नक़ल विरोधी इस नए कानून में ?

उत्तराखण्ड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) अध्यादेश 2023 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया,

इस अध्यादेश में दोषियों के विरूद्ध सख्त प्रावधान किए गए

कोई व्यक्ति, प्रिटिंग प्रेस, सेवा प्रदाता संस्था, प्रबंध तंत्र, कोचिंग संस्थान इत्यादि अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाता है तो उसके लिए आजीवन कारावास तक की सजा तथा दस करोड़ रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया,

यदि कोई व्यक्ति संगठित रूप से परीक्षा कराने वाली संस्था के साथ षडयंत्र करता है तो आजीवन कारावास तक की सजा एवं 10 करोड़ रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया,

यदि कोई परीक्षार्थी प्रतियोगी परीक्षा में स्वयं नकल करते हुए या अन्य परीक्षार्थी को नकल कराते हुए अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाता है तो उसके लिए तीन वर्ष के कारावास व न्यूनतम पांच लाख के जुर्माने का प्रावधान किया गया,

यदि वह परीक्षार्थी दोबारा अन्य प्रतियोगी परीक्षा में पुनः दोषी पाया जाता है तो न्यूनतम दस वर्ष के कारावास तथा न्यूनतम 10 लाख जुर्माने का प्रावधान किया गया ,

यदि कोई परीक्षार्थी नकल करते हुए पाया जाता है तो आरोप पत्र दाखिल होने की तिथि से दो से पांच वर्ष के लिए डिबार करने तथा दोषसिद्ध ठहराए जाने की दशा में दस वर्ष के लिए समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार किए जाने का प्रावधान किया गया,

यदि कोई परीक्षार्थी दोबारा नकल करते हुए पाया जाता है तो क्रमशः पांच से दस वर्ष के लिए तथा आजीवन समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार किए जाने का प्रावधान किया गया,

अनुचित साधनों के इस्तेमाल से अर्जित सम्पति की कुर्की की जायेगी,

इस अधिनियम के अन्तर्गत अपराध संज्ञेय, गैर जमानती एवं अशमनीय होगा .

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