Search for:

माफिया अतीक अहमद और उसके भाई की फिल्मी अंदाज में हत्या

– चार दशकों से अपराध, राजनीति का कॉकटेल अतीक अहमद और उसके गुनाहों के साथी उसके भाई अशरफ की प्रयागराज में पुलिस की मौजूदगी में हत्या
PEN POINT, DEHRADUN : अतीक अहमद के आतंक की कहानी किसी फिल्मी कहानी की तरह शुरू हुई थी और उसका अंत भी फिल्मी स्टाईल में हुआ। पुलिस कस्टडी में स्वास्थ्य जांच के लिए शनिवार देर रात प्रयागराज के कॉल्विन अस्पताल ले जाते समय माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की मेडिकल कॉलेज के पास मीडिया कर्मी बनकर आए तीन बाइक सवार बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी। बिल्कुल फिल्मी अंजाद में हुई इस हत्या के दौरान पुलिस भी खुद की जान बचाती हुई भागती दिखी। माफिया अतीक अहमद और उसके हर गुनाह का साथी उसके भाई अशरफ को गोलियों से छलनी करने के बाद हत्यारों ने मौके पर ही खुद को सरेंडर कर दिया।
चार दशकों तक उत्तर प्रदेश में आतंक का पर्याय बने माफिया अतीक अहमद और उसके भाई की शनिवार देर रात उस वक्त हत्या कर दी गई जब पुलिस उन दोनों को हथकड़ियों में बांधकर कॉल्विन अस्पताल में मेडिकल करवाने के लिए लेकर जा रहे थे। उमेश पाल अपरहण कांड में हाल ही में सजा पाए अतीक अहमद के बेटे अशद को बीते गुरूवार को ही पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था। उसके बाद शनिवार देर रात बदमाशों से पुलिस की मौजूदगी में अतीक अहमद की हत्या कर चार दशक से चल रहे उसके आतंक व डर के साम्राज्य को खत्म कर दिया।
सांसद, चार बार विधायक रहे माफिया अतीक पर 44 साल पहले पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। तब से अब तक उसके ऊपर सौ से अधिक मामले दर्ज हुए, लेकिन पहली बार उमेश पाल अपहरण कांड में उसे दोषी ठहराया गया। उमेश पाल हत्याकांड के बाद अतीक अहमद के सबसे बुरे दिनों की शुरुआत हो गई थी। अतीक ने अपराध के दम पर अपनी पहचान बनाई। अपराध से बनाई पहचान से उसने राजनीति में प्रवेश किया। 28 साल की उम्र में विधायक बनकर राजनीतिक सफर शुरू किया तो चार बार विधायक, सांसद बना। राजनीति में आने के बाद माफिया अतीक अहमद के हौसले और बुलंद हो गए।
अतीक अहमद पर एक के बाद एक 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए, लेकिन कभी किसी केस में सजा नहीं हुई। 44 साल बाद 28 मार्च 2023 को अतीक को उमेश पाल अपहरण कांड में पहली बार सजा सुनाई गई। अतीक के साथ मारा गया अशरफ भी अपने भाई के हमेशा साथ रहा। हर बड़े मुकदमे में अतीक के साथ अशरफ नामजद था।
अतीक अहमद को इसी साल 29 मार्च को उमेश पाल अपहरण कांड में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। अतीक के साथ दोषी करार दिए गए दिनेश पासी और सौलत हनीफ को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, अतीक के भाई अशरफ समेत सात जीवित आरोपी मंगलवार को दोष मुक्त करार दिए गए थे।
1979 में पहला मामला दर्ज होने के बाद अतीक अहमद पर हत्या, लूट, रंगदारी अपहरण के न जाने कितने मुकदमे उसके खिलाफ दर्ज होते रहे। मुकदमों के साथ ही उसका राजनीतिक रुतबा भी बढ़ता गया। अतीक के खिलाफ कुल 101 मुकदमे दर्ज हुए। वर्तमान में अदालत में 50 मामले चल रहे थे।

उमेश पाल अपहरण मामले में हुई थी उम्रकैद
25 जनवरी, 2005 को इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट से नवनिर्वाचित विधायक राजू पाल की हत्या हुई थी। इसे लेकर मुकदमा 2007 में दर्ज हुआ। दस दिन पहले ही राजू की शादी हुई थी। राजू पाल के दोस्त उमेश पाल इस हत्याकांड के मुख्य गवाह थे। हत्याकांड के बाद अतीक ने उमेश को मामले से हटने की धमकी दी थी।
उमेश नहीं माने तो 28 फरवरी 2006 को उसका अपहरण कर लिया गया। उसे करबला स्थित कार्यालय में अतीक ने रात भर पीटा था। अतीक ने उनसे अपने पक्ष में हलफनामा लिखवा लिया। अगले दिन उमेश ने अतीक के पक्ष में अदालत में गवाही भी दे दी। 2007 में बसपा सरकार बनी और उस चुनाव में शहर पश्चिमी सीट से अतीक के भाई अशरफ को दिवंगत विधायक राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने हरा दिया। इसके बाद अतीक पर शिकंजा कसना शुरू हुआ। हालात बदले तो उमेश ने अपने अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया। इस मामले की उमेश सालों पैरवी करते रहे। उमेश पाल ने अपने अपहरण के मामले को लगभग अंजाम तक पहुंचा दिया, लेकिन फैसले से एक महीने पहले उनकी हत्या कर दी गई। उमेश पाल अपहरण मामले में ही अतीक को सजा हुई थी।

मीडियाकर्मी बनकर आए थे, गोलियां बरसा कर लगाए जय श्री राम के नारे
प्रयागराज के कॉल्विन अस्पताल के बाहर माफिया अतीक अहमद और अशरफ की हत्या की साजिश बदमाशों ने पहले से ही तैयार कर ली थी। उन्हें पता था कि अतीक और अशरफ को मेडिकल जांच के लिए अस्पताल लाया जाना है, इसलिए वे मीडियाकर्मी के रूप में वहां खड़े थे।
हमलावरों ने अतीक व अशरफ के साथ में रहे पुलिसकर्मियों को संभलने तक का मौका नहीं दिया और वारदात को अंजाम दे डाला। ’’असल में गुड्डू मुस्लिम के बारे में…’’ मीडियाकर्मियों से इतना बोलते ही अतीक के पीछे साए की तरह आए शूटर ने प्वाइंट ब्लैंक दूरी से उसके सिर में पिस्टल से गोली उतार दी। गोली चलने की आवाज सुनते ही अतीक से एक कदम आगे चल रहे अशरफ ने पीछे मुड़कर देखा तो उसके होश उड़ गए। तब तक दो और शूटर नजदीक आकर अशरफ पर सामने से गोलियां बरसाने लगे।
जैसे ही उनको अतीक और अशरफ के ढेर होने का आभास हुआ, उन्होंने सरेंडर-सरेंडर… और जय श्री राम के नारे लगाते हुए अपने हाथ ऊपर कर लिए। अतीक अहमद और अशरफ की हत्या में गिरफ्तार आरोपियों की पहचान लवलेश तिवारी, सनी और अरूण मौर्या के रूप में हुई है। बताया जा रहा है लवलेश तिवारी नशे का आदी है और एक बार जेल भी जा चुका है।

Leave A Comment

All fields marked with an asterisk (*) are required