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चालीस साल से पहले बने मंदिर मजार नहीं तोड़े जाएंगे

– वन भूमि पर कब्जा कर बने मंदिर मजारों को मिली राहत, नए निर्माण ही हटाएगा वन विभाग

PEN POINT, DEHRADUN : राज्य में मीडिया और सरकार की ओर से हजारों मजारों के वन भूमि पर बने होने के दावों के बीच वन विभाग ने साफ किया है कि 1980 से पहले वन भूमि पर बने मंदिर, मजारों, क्रबिस्तानों को नहीं हटाया जाएगा जबकि नए बने अवैध निमार्णों की सूची बनाकर उन्हें हटाने का काम जल्दी शुरू कर दिया जाएगा।
बीते दिनों से ही राष्ट्रीय मीडिया एक तबका और प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर भाजपा के नेताओं की ओर से एक सुर में राज्य में वन भूमि पर हजारों मजारों के अवैध निर्माण का राग गाया जा रहा है। इसे लैंड जिहाद का नाम देकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से इन अवैध निर्माणों को हटाने के लिए विशेष अभियान चलाने का एलान किया। मुख्यमंत्री ने भी दावा किया था कि राज्य में बीते सालों में वन भूमि पर अवैध तरीके से हजारों मजारों का निर्माण किया गया है जिन्हें हटाया जाएगा। इसके बाद वन विभाग की ओर से अपनी रिपोर्ट पेश की गई तो तस्वीर का एक दूसरा पहलू भी सामने आया। इस रिपोर्ट ने मीडिया और सरकार के हजारों अवैध मजारों के दावों की पोल खोल दी। वन विभाग की माने तो वन भूमि पर कब्जा कर बनाई गई मजारों की तादात तो कुल 36 पाई गई लेकिन इस वन भूमि पर कब्जा कर ढाई सौ से ज्यादा मंदिर बनाए गए हैं। एक अंग्रेजी अखबार की ओर से इस खबर के प्रकाशित होने के बाद एक ओर जहां लैंड जिहाद के नाम पर वोटों की फसल बोने और काटने की जुगत में बैठी भाजपा की उम्मीदों की हवा निकल गई तो साथ ही मीडिया के एक धड़े की ओर से राज्य में हिंदू मुस्लिम माहौल को खराब करने की कोशिशों पर भी पानी फिर गया। बड़े पैमाने पर वन भूमि में मंदिरों के निर्माण के मामले सामने आने के बाद अब वन विभाग ने भी साफ कर दिया है कि 1980 से पहले बने मंदिर मजारों को ध्वस्त नहीं किया जाएगा। वन विभाग की माने तो वन भूमि पर कई महत्वपूर्ण व आस्था के केंद्र मंदिर भी स्थापित है। अब पहले चरण में अतिक्रमण कर नए बने धार्मिक स्थलों को हटाया जाएगा। वन विभाग ने राजाजी व टाइगर रिजर्व, गंगोत्री व नंदादेवी बायोस्पेयर पार्क समेत तमाम आरक्षित वन क्षेत्रों में अवैध तरीके से बने धार्मिक स्थलों की जो सूची बनाई है, अधिकांश मंदिर 1980 से पहले के बने हैं। मनसा देवी मंदिर 1903 और अन्य मंदिर वर्ष 1983 में राजाजी राष्ट्रीय पार्क बनने से पहले बने थे। वहीं राजाजी टाइगर रिजर्व की चीला रेंज में चीला नहर के पास की मजार, गौहरी रेंज की कुनाऊं बीट में कब्रिस्तान, मोतीचूर रेंज के चीला-मोतीचूर कॉरीडोर बीट की मजार सहित कुछ मजार हैं जो वर्ष 1980 में राजाजी राष्ट्रीय पार्क बनने से पहले की हैं।
ऐसे में अब वह सभी धार्मिक निर्माण अतिक्रमण माने जाएंगे जो 1980 के बाद वन भूमि पर किए गए हैं। लिहाजा, इस सूची में नई नई बनी मजारों के साथ ही मंदिरों के नाम पर हुए अतिक्रमण भी शामिल किए जा रहे है। वन विभाग ने इन अतिक्रमणों को हटाने के लिए अपने सभी प्रभागीय वनाधिकारियों को भी निर्देशित कर दिया है।

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