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…तो सौ साल में गंगोत्री से 6 किमी दूर हो गया गोमुख

PEN POINT, DEHRADUN : गोमुख, भागीरथी नदी का उद्गम स्थल, करोड़ों हिंदुओं की आस्था के इस केंद्र की राह बड़ी मुश्किल है। समुद्रतल से 14 हजार फीट की उंचाई पर स्थित गोमुख तक पहुंचने के लिए गंगोत्री से 18 किमी की बेहद दुर्गम दूरी तय करनी पड़ती है। लेकिन, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि एक समय गंगोत्री से गंगा के उद्गम स्थल गोमुख तक पहुंचने के लिए कुल 12 किमी की पैदल दूरी तय करनी पड़ती थी। करीब सौ साल पहले तक गंगोत्री और गोमुख के बीच की दूरी कुल 12 किमी थी लेकिन गर्म होती धरती, ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर पिघलने लगे तो गंगोत्री और गोमुख के बीच की दूरी में 6 किमी का फर्क आया।
'Pen Pointभागीरथी नदी का उद्गम गोमुख ग्लेशियर है। वर्तमान में गंगोत्री से 18 किमी की दुर्गम व खतरनाक दूरी तय कर यहां तक पहुंचा जा सकता है। लेकिन, जब सन 1900 के शुरूआती सालों में अंग्रेज आईसीएस अफसर एचजी वॉल्टन गंगोत्री पहुंचे थे तो उन्होंने अपनी गजेटियर में गंगोत्री और गोमुख के बीच की दूरी करीब 8 मील यानि करीब 12 किमी दर्ज की थी। हालांकि, समय समय पर वैज्ञानिक भी इस बात की तस्दीक करते हैं कि गोमुख ग्लेशियर तेजी से पिघलकर पीछे जा रहा है। बीस किमी लंबे और 3 किमी चौड़े गोमुख ग्लेशियर तेजी से सिकुड़ रहा है और वह 10 से 15 मीटर पीछे की ओर खिसक रहा है यानि हर साल गोमुख और गंगोत्री के बीच की दूरी 10 से 15 मीटर ज्यादा बढ़ रही है। हालांकि, 1900 से 2000 के बीच इस ग्लेशियर के पिघलने की गति धीमी थी लेकिन पिछले दो दशकों में गोमुख ग्लेशियर तेजी से पिघल रहा है। पंडित गोविंद बल्लभ पंत हिमालय पर्यावरण एवं विकास संस्थान अल्मोड़ा के वैज्ञानिकों की टीम गोमुख ग्लेशियर के पिघलने की रफ्तार का अध्ययन कर रही है और उस टीम ने इस बात की तस्दीक भी की है कि हर साल ग्लेशियर पिघलकर 10 से 15 मीटर पीछे खिसकर रहा है।

जब अंग्रेजों ने रची गंगा का नाम बदलने की साजिश
एक ब्रिटिश सर्वेयर ने गंगा और उसकी सहायक नदियों के नाम बदलने का सुझाव ब्रिटिश सरकार को दिया था। ब्रिटिश सर्वेयर ने गंगा नदी, अलकनंदा और भिलंगना नदी का नाम अंग्रेज संतों के नाम पर रखने का सुझाव दिया था। अगर तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया होता तो गंगा और उसकी सहायक दोनों नदियों का नाम अंग्रेज संत जार्ज, संत एंड्रयू संत डेविड के नाम से जाने जाते। हालांकि, ब्रिटिश सरकार को भी आभास हो गया था कि अगर हिंदुओं की आस्था के लिए बेहद महत्वपूर्ण इन नदियों का नाम बदला गया तो यह सरकार के लिए बड़ा जोखिम साबित होगा। बिल एटिकन लिखते हैं कि काफी दिलचस्प है कि जब 19वीं शताब्दी में जब ब्रिटिश सर्वेयर हिमालय की सर्वोच्च चोटियों की उंचाई नाप रहे थे तब दुनिया के बहुत से पर्वतारोही आश्वस्त थे कि सबसे उंचे शिखर एंडीज पर्वत श्रृंखला में हैं। इसी तरह कई पर्वतारोहियों ने ख्याति हड़पने के की कोशिश में हिमालय का नाम बदलकर भारतीय एल्प्स करने की इच्छा जाहिर की। एक ब्रिटिश सर्वेयर ने यह सिफारिश की कि शिवलिंग और गंगा की सहायक तीन नदियों के नाम यूनाइटेड किंगडम के अंग्रेज संतों के नाम पर रख दिए जाएं।

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