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इतिहास: जानिये प्राचीन भारत में कैसे चुनी जाती थी सरकार

Pen Point, Dehradun : कम ही लोग जानते हैं कि प्राचीन भारत के कई हिस्सों लोकतांत्रिक व्यवस्था मौजूद थी। इस व्यवस्था पर बनी सरकारों के कुछ संदर्भ भारतीय इतिहास में झांकने पर मिल जाते हैं। बौद्ध साहित्य में भी लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकारों का उल्लेख मिलता है। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा देश के पहले लोकसभा चुनाव के विवरण को इसी तथ्य के साथ प्रस्तुत किया है। जिसके मुताबिक ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में भारत में एक गणतांत्रिक संघ था जिसे क्षुद्रक नाम से जाना जाता था। ऐस ही एक संघ मल्ल संघ था जिसने सिकंदर की अगुआई में आए यूनानियों का कड़ा प्रतिरोध किया था। इस संघ को लेकर यूनानी साहित्य में भी विवरण मिलते हैं।

हालांकि प्राचीन भारत में लोकतंात्रिक सरकारों के काम काज की पूरी और गहन जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन इतिहासकार इतना मालूम करने में सफल रहे हैं, प्राचीन भारत में मतदान का अधिकार भी था। जिसके अनुसार प्रत्येक वयस्क पुरूष गणराज्य का सदस्य है और उसे मतदान करने और सार्वजनिक निर्णय लेने वाली आम सभा में उपस्थित रहने का अधिकार है। समय के साथ जनसंख्या बढ़ने के साथ सभी लोगों को एक जगह पर एकत्र हो पाना कठिन हो गया। इसके साथ ही समय के साथ और आबादी के विस्तार से और जटिलताएं पैदा होने लगी। जिसके नतीजा हुआ कि एक चुनी हुई सरकार की व्यवस्था बनी। जिसमें चुनाव, जनमत संग्रह और मतदान आदि के उल्लेख भी मिलते हैं।

जनता के बीच से प्रतिनिधियों के चुनाव की प्रक्रिया और प्रकृति की कुछ ही जानकारियां उपलब्ध हैं। कुलीन गणराज्यों का आधार एक परिवार प्रतीत होता है। जिसमें सभी वयस्क पुरूषों कों वोट देने का अधिकार था। ऐसे एक वोट को छंदा के नाम से जाना जाता था जिसका शाब्दिक अर्थ होता है इच्छा। इस शब्द का उपयोग इच्छा व्यक्त करने के लिए किया गया था। जिसके पीछे यह विचार था कि मतदान करके कोई सदस्य अपनी स्वतंत्र इच्छा व्यक्त कर रहा है।

ऐतिहासिक साक्ष्यों में वोटिंग प्रक्रिया में शामिल नहीं होने वाले नागरिकों के वोटो के संग्रह तरीकों का भी वर्णन मिलता है। इसके अलावा यह भी जानकारी उपलब्ध है कि मतादन के लिये सभा बहुरंगी वोटिंग टिकट हुआ करते थे जिन्हें शलाका कहा जाता था। सभा का एक विशेष अधिकारी शलाका को एकत्र करता था, जिसे शलाका ग्राहक कहा जाता था इस अधिकारी की नियुक्ति सभा की ओर से ही जाती थी।

समय के साथ गणतांत्रिक राज्यों को साम्राज्यों ने अपने आप में समाहित कर लिया। इसके बावजूद स्थानीय जीवन के कायदे कानून और संचालन की प्रणाली में लोकतंत्र मौजूद रहा। लगभग हर साम्राज्य के विस्तार में शाही विजेताओं ने विजित राज्यों में स्थानीय समुदाय के तौर तरीकों को उसके अनुसार ही चलने दिया। यहां तक कि मुगल काल के दौरान भी देश के कई हिस्सों और गांवों में लोकतंत्र की भावना और विधियां मौजूद रही। इस मौलिक मौलिक व्यवस्था में अंग्रेजी हुकूमत के दोरान बदलाव आया। जिसके चलते कृषि और उद्योगों का पतन हुआ। जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में गिरावट आई और जन इच्छा पर आधारित संगठन धूमिल हो गए।

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