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गणेश गोदियाल पर नजर-ए-इनायत ने मनीष खंडूडी से कहलवाया अलविदा

– पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल पर राहुल गांधी के बढ़ते भरोसे और हाईकमान का उन पर चुनाव लड़ने के दबाव की खबरों के बाद से ही कांग्रेस से मनीष खंडूडी का मोहभंग होना हो गया था शुरू
Pen Point, Dehradun : पिछले लोक सभा चुनाव में गढ़वाल संसदीय सीट से प्रत्याशी मनीष खंडूडी ने शुक्रवार को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। भाजपा से केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद खंडूडी के पुत्र मनीष खंडूडी साल 2019 लोक सभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे। लोक सभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी और अपने पिता के राजनैतिक शिष्य माने जाने वाले तीरथ सिंह रावत से बड़े अंतर से चुनाव हार गए थे। बीते महीनों से मनीष खंडूडी गढ़वाल संसदीय सीट में जन संपर्क में जुटे थे तो बीते साल राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में भी शामिल रहे थे।

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भाजपा से केंद्रीय मंत्री और फिर मुख्यमंत्री रहे पिता भुवन चंद्र खंडूरी, भाजपा से दो बार विधायक व मौजूदा विधान सभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खंडूरी के इतर साल 2019 के लोक सभा चुनाव से ठीक पहले मनीष खंडूरी ने कांग्रेस की सदस्यता लेकर सबको चौंका दिया था। अमेरिका से प्रबंधन में पोस्ट ग्रेजुएट मनीष खंडूरी का अपनी राजनीति के लिए परिवार से इतर कांग्रेस को चुनना कई लोगों को अजीब लगा। लेकिन, कांग्रेस ने इसे बड़ा मौका मानते हुए मनीष खंडूरी को पौड़ी संसदीय सीट से 2019 में अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। चुनाव में उनका सामना अपने पिता के राजनैतिक शिष्य माने जाने वाले भाजपा प्रत्याशी तीरथ सिंह रावत से था। भाजपा की प्रचंड लहर में मनीष खंडूरी तीरथ सिंह रावत से मुकाबले में तीन लाख के करीब वोटों से हार गए। इन चुनाव में मनीष खंडूडी को 2,04,311 वोट मिले थे जबकि इस सीट पर विजय रहे तीरथ सिंह रावत को 5,06,980 वोट मिले थे। हालांकि, इसके बाद भी मनीष खंडूरी कांग्रेस के साथ बने रहे। इस दौरान वह गढ़वाल संसदीय सीट में भले ही कम सक्रिय रहे लेकिन कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की 2022 में हुई भारत जोड़ो यात्रा में उनकी यात्रा के सहयात्री बने। लगने लगा था कि वह राहुल गांधी के बेहद करीब आ चुके हैं लिहाजा 2024 लोक सभा चुनाव से पहले मनीष खंडूरी ने गढ़वाल संसदीय सीट पर जनसंपर्क अभियान शुरू भी कर दिया था। हालांकि, इससे पहले एक ऐसा घटनाक्रम घट चुका था जिसके बाद गढ़वाल संसदीय सीट से मनीष खंडूरी की दावेदारी पर खतरा मंडराने लगा था।

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बीते साल कांग्रेस सांसद राहुल गांधी नवंबर महीने में केदारनाथ धाम पहुंचे थे। तीन दिन की यह उनकी निजी यात्रा थी लिहाजा कांग्रेस नेताओं को इस यात्रा से दूर रखा गया था लेकिन इस यात्रा का प्रबंधन कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल को सौंपा गया था। पूरी यात्रा में गणेश गोदियाल ही राहुल गांधी के साथ मौजूद रहे। हालांकि, 2022 विधानसभा चुनाव हारने और प्रदेश अध्यक्ष पद गंवाने के बाद लगने लगा था कि गणेश गोदियाल फिलहाल नेपथ्य में चले जाएंगे लेकिन राहुल गांधी की केदारनाथ यात्रा के दौरान जिस तरह से प्रदेश कांग्रेस के इकलौते नेता के तौर पर वह उनके साथ रहे तो साफ हो गया था कि गोदियाल की राजनीति की राह फिलहाल खत्म नहीं हुई है। हालांकि, इसके बाद मनीष खंडूरी गढ़वाल संसदीय सीट पर जनसंपर्क अभियान में जुटे रहे और पौड़ी गढ़वाल समेत अन्य जनपदों के ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा करते रहे। लेकिन, फरवरी के दूसरे हफ्ते के बाद अचानक उनके सोशल मीडिया से जनसंपर्क की तस्वीरें दिखनी बंद हो गई।
फरवरी महीने की शुरूआत में कांग्रेस को लंबे समय से रिपोर्ट करने वाले वरिष्ठ पत्रकार आदेश रावत ले एक्स पर एक पोस्ट की थी जिसमें उन्होंने दावा किया था कि कांग्रेस हाईकमान उत्तराखंड में हर हाल में गणेश गोदियाल, हरीश रावत, यशपाल आर्य, प्रीतम सिंह को संसदीय चुनाव लड़वाना चाहता है जबकि यह नेता पहले से ही चुनाव लड़ने को लेकर अपनी अनिच्छा जाहिर कर चुके थे। लेकिन, इन नेताओं की व्यापक लोकप्रियता और कद को लेकर पार्टी इन पर ही दांव खेलना चाहती थी। मीडिया से बातचीत में गणेश गोदियाल यूं तो संसदीय चुनाव लड़ने को लेकर अनिच्छा जताते रहे लेकिन फरवरी महीने के मध्य से वह अचानक क्षेत्र में सक्रिय होने लगे। उन्होंने अपना व्यापक जनसंपर्क अभियान भी शुरू कर दिया। गणेश गोदियाल के नाम की गढ़वाल संसदीय सीट पर चर्चा के बाद से ही मनीष खंडूडी का भी कांग्रेस से मोहभंग होना शुरू हो गया था। आखिरकार, शुक्रवार को उन्होंने कांग्रेस के साथ अपने पांच साल लंबे सफर को खत्म कर दिया। अब संभावनाएं जताई जा रही है कि वह भी परिवार की विरासत को आगे बढ़ाते हुए भाजपा का दामन थाम सकते हैं।

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