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LOCKDOWN : क्या याद है आज की वो तारीख और वो शाम ?

PEN POINT  : इस सदी के दूसरे दशक के अंत में आई कोरोना महामारी ने देश दुनिया में लाखों लोगों की जिंदगियां लेली। कथित तौर पर चीन से शुरू हुई इस घातक महामारी पूरी दुनिया भर में बड़ी तबाही मचाई। इस जान लेवा महामारी ने दुनिया को घरों में कैद कर दिया था। इतना ही नहीं तेजी से फैलने वाला यह घातक रोग मानवीय रिश्तों को भी तार-तार करता हुआ नजर आया। अपने ही अपनों की देखरेख तक नहीं कर पाए, मजबूरी में एक दूसरे से मुँह मोड़ लिया।

इस नजरिये से दुनिया भर की सरकारों ने लॉक डाउन जैसे कठोर निर्णय लिए। शायद भारत में एक बड़ी आबादी ने यह शब्द पहली बार सुना और जाना। भारत में भी बड़ी आबादी ने अपनी जान इस भयावह महामारी के दौरान गंवाई। जिसके बाद देश भर में महामारी अधिनियम 1897 में व्यवहारिक नजरिये से कुछ संशोधन कर उसे लागू किया गया। जिसका नाम रखा गया महामारी (संशोधन) विधेयक, 2020 । इस तरह आज ही के दिन 2020 में लॉक दावों लगाने का ऐलान किया गया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना के कहर के बढ़ते कहर को देखते हुए देशभर में लॉकडाउन लगाने की घोषणा करके इस दिन को ऐतिहासिक घटना बना दिया। 24 मार्च 2020 की तारीख लॉक डाउन लगाने के तौर पर दर्ज की गयी। इसके पीछे के एक तथ्य को आधार माना गया।

ठीक आज से तीन बरस पहले 24 मार्च को देश में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों का आंकड़ा 500 से पार होने के बाद यह एहतियाती कदम उठाया गया।

इसके बाद देश भर के अलग-अलग इलाकों से दिहाड़ी मजदूर और निजी औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाले मजदूर और कर्मचारी परिवार सहित अपने अपने घर-गांवों की तरफ पैदल ही निकल पड़े। इस बीच कई लोगों की जान जाने की खबरें भी सामने आई। बड़ी संख्या में शहरों में रहने वाली कामगार आबादी भूखी प्यासी, जिनमें से कई लोग ऐसे भी थे जो बिन जूते-चप्पलों के सैकड़ों किलो मीटर की राह पर निकल पड़े। इस दौरान उन्हें कितनी परेशानियां और यातनाएं झेलनी पड़ी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

इसमें कोई दो राय नहीं कि वो पीड़ा दायक वक्त उन्हें जिंदगी भर सालता रहेगा। ये सब इसलिए हुआ कि क्योंकि किसी को भी यकीन नहीं था कि सरकार ऐसा भयावह कदम उठा लेगी जिसका उन्हें इस तरह से खामियाजा भुगतना पडेगा। ऐसे में उनके सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया। क्योंकि पूरे देश में सब कुछ बंद करने का ऐलान सरकार कर चुकी थी। ऐसे हालातों में कठिन शहरी जीवन को बिन काम और बिन पैसे के कैसे गुजरा जा सकता था। ऊपर से जान लेवा महामारी दरवाजे पर दस्तक देने को दौड़ी चली आ रही थी। दो तरफ़ा डर ने उनके सामने ऐसे हालत खड़े कर दिए थे।

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि कोरोना त्रासदी ने लॉक डाउन का निर्णय लेने की घोषणा आज से ठीक तीन साल पहले देश की गयी थी, जिसका ऐलान खुद प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने टीवी स्क्रीन पर आकर देश के सामने किया था।

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