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विधायकों की मांग, गैरसैंण में न हो विधानसभा सत्र

– 26 फरवरी को गैरसैंण में प्रस्तावित किया गया है बजट सत्र, 40 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष से लगाई देहरादून में सत्र करवाने की गुहार
PEN POINT, DEHRADUN : गैरसैंण को प्रदेश की जनभावनाओं की राजधानी कहा जाता है, पिछली सरकार ने एक कदम आगे जाकर इसे ग्रीष्मकालीन राजधानी भी घोषित कर दी। लेकिन, अब विधायकों को गैरसैंण में प्रस्तावित सत्र से पहले ही ठंड का डर सताने लगा है। आलम यह है कि फरवरी के आखिर में गैरसैंण स्थित भराड़ीसैंण में प्रस्तावित बजट सत्र को दून में करवाने की विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष से गुहार लगाई है। बताया जा रहा है कि करीब 40 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर गैरसैंण विधानसभा में सुविधाओं के अभाव व ठंड का हवाला देते हुए बजट सत्र दून करवाने की मांग की है।
बीते फरवरी के पहले हफ्ते जब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था तो सत्र के दौरान फरवरी के आखिर में बजट सत्र का आयोजन गैरसैंण में करने का प्रस्ताव पेश किया गया। माना जा रहा है कि लोक सभा चुनाव आचार संहिता से पहले ही यानि फरवरी अंत में प्रदेश सरकार अपना बजट सत्र पेश कर सकती है। इसके लिए अभी संभावित तिथि 26 फरवरी रखी गई है। समुद्रतल से करीब सात हजार फीट की उंचाई पर भराड़ीसैंण में आयोजित होने वाले इस विधानसभा सत्र पर तस्वीर 14 फरवरी को होने वाली कैबिनेट बैठक में साफ होगी। कैबिनेट तय करेगी कि बजट सत्र कब से शुरू किया जाए। लेकिन, गैरसैंण में बजट सत्र के आयोजन की सुगबुगहाट सुन विधायकों के हाथ पैर सुन्न पड़ने लगे हैं। भराड़ीसैंण में प्रस्तावित सत्र के लिए विधायक ठंड और सेहत का हवाला देकर इसे दून में आयोजित करवाने की पैरवी कर रहे हैं। बीते सोमवार को सत्ता और विपक्ष के 40 विधायकों से विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी को पत्र लिखकर फरवरी महीने के आखिर में पड़ने वाली ठंड के चलते सत्र दून में आयोजित करने की मांग की है। विधायकों का तर्क है कि फरवरी में भरारीसैण में मौसम बहुत ठंडा होता है जिसके चलते विधायकों को मुश्किलें होंगी। वही विधायकों की माने तो गैरसैंण में विधानसभा भवन परिसर में पर्याप्त सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं है। विधायकों की मांग है कि गैरसैंण में ग्रीष्मकालीन सत्र आयोजित करवाया जाए लेकिन मौसम के मिजाज को देखते हुए बजट सत्र दून में ही आयोजित हो। विपक्षी दलों के विधायकों का दावा है कि सरकार की ओर से गैरसैंण में सत्र आयोजित करने के फैसले के बारे में विपक्षी दलों से सलाह नहीं ली गई न ही अब तक यह स्पष्ट किया गया कि बजट सत्र गैरसैंण में ही क्यों आयोजित किया जाना जरूरी है।
दूसरी ओर बजट सत्र कब आयोजित किया जाएगा इसको लेकर बुधवार को आयोजित होने वाली कैबिनेट बैठक में फैसला लिया जाएगा। अब तक माना जा रहा है कि मार्च में लोक सभा चुनाव कार्यक्रम की संभावित घोषणा के चलते राज्य सरकार उससे पहले ही बजट सत्र का आयोजन करना चाहती है। बीते साल भी धामी सरकार ने गैरसैंण में ही बजट पेश किया था। 13 मार्च से शुरू हुआ बजट सत्र यूं तो छह दिन तक चलना था लेकिन हर बार की तरह ही सरकार ने 3 दिन में ही काम काज निपटाकर दून वापसी कर ली। अब तक 9 सालों में गैरसैंण में केवल 30 दिनों तक ही सत्र चलाया जा सका है।

बहुत महंगी पड़ती है गैरसैंण में रस्म अदायगी
यूं तो राज्य आंदोलन के दौरान पृथक पर्वतीय राज्य की राजधानी गैरसैंण में बनाए जाने की मांग थी। लेकिन, राज्य बनते ही देहरादून को अस्थाई राजधानी बनाकर राजधानी के सभी आधारभूत ढांचों का दून में ही निर्माण किया जाने लगा। जूर्न 2014 से राज्य सरकार ने गैरसैंण में विधानसभा सत्र की रस्म अदायगी शुरू की तो उसके बाद एक हजार करोड़ रूपए की लागत से भरारीसैण में विधान सभा भवन, विधायक हॉस्टल का निर्माण भी किया गया। लिहाजा, तब से हर साल गैरसैंण में विधान सभा का सत्र आयोजित किया जाता रहा है। अब तक गैरसैंण में हर साल औसतन तीन दिन ही विधान सभा सत्र चल सका है। लेकिन, इसके लिए सरकार को खजाने से खूब खर्च करना पड़ा। अब तक गैरसैंण में विधानसभा सत्र के आयोजन के लिए सरकार को हर दिन औसतन 33 लाख रूपए की रकम खर्च की।

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