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भारतीय फुटबॉल का बदल रहा है संविधान, उत्तराखंड कितना तैयार

Pen Point, Dehradun : कुछ साल पहले दिग्गज भारतीय फुटबॉलर बाई चुंग भूटिया देहरादून पहुंचे थे। यहां उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में सत्तर के दशक के उन फुटबॉल खिलाड़ियों को याद किया, जो देहरादून से जुड़े थे। उनकी बातों का मतलब था कि उस दौर में यह इलाकफुटबॉल का पावर हाउस था, लेकिन राज्य बनने के बाद वो बात कहीं नजर नहीं आती है। उत्तराखंड में फुटबॉल की दुर्दशा के लिये इसके कर्ता धर्ता ही जिम्मेदार माने जाते हैं। स्टेट फुटबॉल ऐसोसिएशन में लंबे समय से काबिज लोगों का मनमाने रवैये ने तमाम संभावनाओं के बावजूद इस खेल को गर्त में धकेल दिया। लेकिन अब हालात बदलने की उम्मीद है। दरअसल, ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बीते 11 अक्टूबर को एक सुनवाई हुई। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने फेडरेशन के नए संविधान को लागू करने के संबंध में सुनवाई के लिए छह हफ्ते बाद की तिथि दी है। इस बीच सभी वादियों को नये संविधान की प्रति उपलब्ध कराने को कहा गया। गौरतलब है कि ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन का अब तक के संविधान में राज्य ऐसोसिएशनों की कोई जवाबदेही नहीं रही है। जिससे इन ऐसोसिएशनों की गतिविधियों को लेकर ऑल इंडिया फुटबॉल ऐसोसिएशन कुछ कर पाने की स्थिति में नहीं था। हालांकि इतना जरूर था कि किसी अखिल भारतीय टूर्नामेंट में किसी टीम की गैरमौजूदगी पर उस राज्य को अगली बार के लिये बाहर कर दिया जाता। इनमें फुटबॉल में राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करने वाली टीमें भी शामिल रही हैं। जबकि उत्तराखंड जैसे कई राज्य कुछ खास प्रदर्शन न होने के बावजूद संतोष ट्रॉफी जैसा प्रतिष्ठित टूर्नामेंट लगातार खेल रहे हैं।

जबकि उत्तराखंड में इस टूर्नामेंट की चयन प्रक्रिया पर नजर डालें तो इसके लिये जिला स्तर पर कोई टूर्नामेंट या ट्रायल नहीं होता। हल्द्वानी से संचालित हो रही राज्य फुटबॉल ऐसोसिएशन के कर्ता धर्ता वहीं खिलाड़ियों को बुलाकर दो दिन की चयन प्रक्रिया में टीम फाइनल कर देते हैं। इसी राज्य फुटबॉल संघ की गई गतिविधियां एकदम गैरवाजिब रही हैं।
उदाहरण के लिये बीते माह रूद्रपुर में एसोसिएशन की ओर से जूनियर और सब जूनियर के ट्रायल आयोजित किये गए। बारिश के चलते ये ट्रायल बाधित हुए तो उन्हें खिलाड़ियों से फुटबॉल जैसे ही अन्य खेल फुटसल की टीमें बना दी गई। फुटसल छोटे से मैदान पर सात खिलाड़ियों के साथ खेला जाता है। इस खेल की वहीं पर स्टेट चैंपियनशिप भी आयोजित कर दी गई। जाहिर है कि केवल कागजों में खुद की हालत पुख्ता करने के लिये ये कारगुजारी की गई। इसकी ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन में शिकायत भी दर्ज की जा चुकी है।

वरिष्ठ पत्रकार और फुटबॉल के नए संविधान की सुझाव प्रक्रिया में शामिल राजू गुसांई के मुताबिक संविधान लागू होने के बाद अब राज्य ऐसोसिएशनों की चुनाव प्रक्रिया और अन्य खेल गतिविधियों पर निगरानी रहेगी। इनमें गड़बड़ी या शिकायत पाए जाने पर एसोसिएशनों पर संबद्धता खत्म होने का खतरा रहेगा। कुल मिलाकर राज्य ऐसोसिएशनें अपनी हर गतिविधि को लेकर ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन के प्रति जवाब देह रहेंगी। उत्तराखंड फुटबॉल ऐसोसिएशनं के मौजूदा हालात में ऐसे सख्त कदमों से ही सुधर सकते हैं।

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