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डेंगू और बकरी का दूध क्यों है चर्चा में ?

PEN POINT: Dengue Treatment एडीज मच्छर’ के काटने से डेंगू जैसी खतरनाक जानलेवा महामारी बढ़ती है। कहा जाता है कि मच्छर कि यह प्रजाति बहुत ढीठ व ‘साहसी’ मानी जाती है। इसकी पहचान यह है कि यह दिन के वक्त में काटता है। यूं तो अलग-अलग मच्छर के काटने से डेंगू चिकनगुनिया और मलेरिया जैसा बुखार हो जाता है। इस बुखार में प्लेटलेट्स भी कम होने लगते हैं। लेकिन डेंगू में इसका असर ज्यादा खतरनाक स्तर तक पहुँच जाता है। ऐसे में प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए तमाम बातों कि सलाह दी जाती है। लेकिन सबसे ज्यादा सलाह इस महामारी से निपटने में डॉक्टर्स खासकर बकरी का दूध पीने की सलाह देते हैं। ऐसा क्या है बकरी के दूध में कि वह ब्लड में मौजूद प्लेटलेट्स के स्तर को तेजी से बढ़ाने वाला मना जाता है। इन दिनों देश के तमाम हिस्सों में डेंगू ने पैर पसारे हैं, सैकड़ों लोग अपनी जान इस महामारी में गंवा रहे हैं।

तो आइए आज जानते हैं कि आखिर बकरी के दूध में ऐसा क्या खास होता है ?

बरसात के दिनों में होने वाली बीमारियों में सबसे ख़तरनाक डेंगू को मना जा रहा है। यह एक ऐसा रोग है, जिसका समय पर इलाज शुरू न किया जाए, तो यह जानलेवा साबित जाता है। ऐसे में डेंगू के इलाज में लोग घरेलू और आयुर्वेदिक उपायों का भी सहारा लेते हैं। ऐसे में आपने भी ग़ौर किया होगा कि जब भी डेंगू का प्रभाव बढ़ता है, तब बकरी का दूध काफी महंगा हो जाता है। ऐसा इन दिनों भी चल रहा है। उत्तराखंड में देहरादून सहित कई अन्य जिलों में डेंगू का ख़तरा बड़े पैमाने पर बना हुआ। इस महामारी से कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। ऐसे में शहरी इलाकों में बकरी के दूध कि मांग बढ़ गयी है। ढूंढने से भी लोगों को आसानी से बकरी का दूध नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में शहरों के सबसे घनत्व वाली बस्तियों और कॉलोनियों में लोग एक आध बकरियां पाल लेते हैं। ऐसे में उनकी बड़ी मांग बढ़ जाती है। इन दिनों देहरादून में बकरी के दूध की कीमत एक हजार रुपये लीटर मिल रहा है। जिसमें लोग थोड़ी थोड़ी मात्रा में इस दूध को ले जाने को मजबूर हैं।

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देहरादून के अजबपुर गणेश बिहार से सटे हुए इलाके में कुछ लोगों ने अपने घरों में इसी तरह एक-एक-दो-दो बकरियां पाली हुई हैं। एक बुजुर्ग ने बताया कि एक बकरी से एक बार में आधा लीटर तक दूध मिल जाता है। इन दिनों उनके घर पर दूध लेने पहुँच रहे लोगों की संख्या बढ़ गयी है। लेकिन दूध ज्यादा न होने के कारण चम्मच के हिसाब से देना पड़ रहा है। क्योंकि सबको देना मजबूरी है। ताकि सब स्वस्थ हो जाएं। ऐसे में कुल मिलाकर 100 रुपये प्रति 100एमएल की कीमत में दूध बेच रहे हैं। ऐसे में एक बकरी से करीब रोजाना 1000 रुपये तक कि कमाई हो जा रही है। घर में जगह नहीं है। अपने साथ ही एक दो बकरियां पल जाती हैं तो वक्त बेवक्त घर का छोटा-मोटा खर्चा निकलता रहता है।

अब आते हैं असल मुद्दे पर दरअसल, कहा जाता है कि बकरी का दूध डेंगू में फायदेमंद होता है और इससे डेंगू से रिकवरी में काफी मदद मिलती है। ऐसे में जानते हैं कि आखिर बकरी के दूध में ऐसा क्या होता है, जिसकी वजह से डेंगू के रोकथाम में मदद मिलती है।

पहले आपको बता दें कि डेंगू में बुखार के साथ शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या गिरने लगती है, जिससे डेंगू से रिकवर होने में काफी वक्त लग जाता है। हालांकि इस दौरान बकरी का दूध प्लेटलेट्स बढ़ाता है और चमत्कारिक रूप से काम करता है। प्लेटलेट्स कम होने पर कई बार मरीजों को प्लेटलेट्स चढ़ाना भी पड़ता है।

जानकार बताते हैं कि बकरी के दूध में विटामिन-बी6, बी12, सी और डी की मात्रा कम पाई जाती है। इसमें फोलेट बाइंड करने वाले अवयव की मात्रा ज्यादा होने से फोलिक एसिड नामक ज़रूरी विटामिन होता है। बकरी के दूध में मौजूद प्रोटीन गाय, भैंस की तरह जटिल नहीं होता। इसलिए बकरी का दूध पचाना भी आसन होता है। साथ ही यह रक्त कणिकाओं की संख्या में बढ़ाने का काम भी करता है।

वहीं बकरी के दूध पर की गई रिसर्च में पता चला है कि इस दूध में एक खास तरह का प्रोटीन होता है। ये वही प्रोटीन है, जो डेंगू के मरीज़ में प्लेटलेट्स की संख्या को बढ़ाने का काम करता है। चिकनगुनिया में भी ये ही प्रोटीन काम करता है।

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