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क्या है अल नीनो, जिसने लगा दिया मानसून की बारिश पर ब्रेक

– उत्तराखंड समेत देश के बड़े हिस्से में मानसूनी बारिश पर पड़ रहा बुरा असर, औसत से कम हुई है बारिश
PEN POINT, DEHRADUN : अमूमन सितंबर महीने के पहले सप्ताह में राज्य के ज्यादातर हिस्सों में मानसून सक्रिय रहा करता है और खूब बारिश भी होती है लेकिन अगस्त महीने से राज्य के बड़े हिस्से में बारिश नहीं हो रही है। हालांकि, जून जुलाई महीने में राज्य के ज्यादातर हिस्सों में मानसून सामान्य रूप से बरसा लेकिन अगस्त महीने में बारिश को लेकर जो आंकड़े मौसम विभाग ने जारी किए हैं वह चिंताजनक है।
देहरादून में अगस्त महीने में 10 साल में सबसे कम बारिश दर्ज की गई। देश के अलग अलग हिस्सों में भी यही हाल है। राजस्थान में अगस्त महीने में औसत के मुकाबले 80 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई। मध्य भारत के कई हिस्सों में सूखे जैसे हालात है। इस दौरान बीते साल एक शब्द जो है वह मौसम को लेकर खूब चर्चाओं में है वह है ‘अल नीनो’। माना जा रहा है कि ‘अल नीनो’ की वजह से देश में मानसून की गति कमजोर पड़ी है तो बादल भी औसत से कम बरस रहे हैं। ‘अल नीनो’ ने देश के बड़े हिस्से में सूखे जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। लेकिन, यह पहली बार नहीं है जब अल नीनो की वजह से देश दुनिया में सूखे की स्थिति पैदा हुई हो। मौसम विशेषज्ञों की माने तो पिछले 130 सालों में देश में जितनी बार सूखे और अकाल की स्थिति पैदा हुई है उसमें से 60 फीसदी सूखे अकाल की स्थिति के लिए अल नीनो जिम्मेदार है।

क्या है अल नीनो इफेक्ट?
अल नीनो इफेक्ट मौसम संबंधी एक विशेष घटना की स्थिति है, जो मध्य और पूर्वी प्रशांत सागर में समुद्र का तापमान सामान्य से अधिक होने पर बनती है। आसान भाषा में समझे तो इस प्रभाव की वजह से तापमान काफी गर्म हो जाता है। इसकी वजह से पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में रहने वाला गर्म सतह वाला पानी भूमध्य रेखा के साथ पूर्व की ओर बढ़ने लगता है, जिससे भारत के मौसम पर असर पड़ता है। ऐसी स्थिति में भयानक गर्मी का सामना करना पड़ता है और सूखे के हालात बनने लगते हैं।

कितनी बार होता है अल नीनो?
अल नीनो हर दो से सात साल में होता है। इस साल का अल नीनो चार साल में पहला होगा। यह तीन साल लंबे ला नीना चरण का अनुसरण करता है, जो मार्च 2023 में समाप्त हुआ है। औसतन, अल नीनो इफेक्ट लगभग 9-12 महीने तक सक्रिय रहता है। हालांकि, कभी-कभी यह 18 महीने तक जारी रहता है। इस साल अल नीनो के कम से कम सर्दियों तक और 2024 के पहले तीन महीनों तक रहने की उम्मीद है।

अल नीनो और भारत में मानसून का कनेक्शन
इस साल जब पूरा देश गर्मियों की शुरूआत से ही भीषण गर्मी से झूलस रहा था तब ही मौसम वैज्ञानिकों ने घोषणा की थी कि यह हालात अल नीनो की वजह से बन रहा है। उसी दौरान मौसम वैज्ञानिकों ने यह चिंता भी जताई थी कि अल नीनो का यह प्रभाव देश में मानसून को बुरी तरह से प्रभावित करेगा और मानसून के दौरान बारिश औसत से कम होगी। अल नीनो के इस प्रभाव को लेकर अब डरावनी तस्वीरें सामने आ रही है। देश की ‘राइस बेल्ट’ माने जाने वाले राज्यों में सूखे जैसे हालातों की वजह से धान उत्पादन पर भी बुरा असर पड़ने लगा है।

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