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उत्तराखंड की फुटबॉल टीम को राष्ट्रीय खेलों में जगह क्यों नहीं ? वजह जानिये

Penpoint, Dehradun : आगामी 26 अक्टूबर से गोवा में 37वें राष्ट्रीय खेल शुरू होने वाले हैं। उत्तराखंड इसके लिये कितना तैयार है ये हम आपको पहले प्रकाशित खबर में बता चुके हैं। जिस तरह की तैयारियां हैं उससे खिलाड़ियों के प्रदर्शन से बहुत ज्यादा उम्मीदें नहीं लगाई जा सकती। एक अफसोस की बात ये भी है कि राष्ट्रीय खेलों में राज्य की फुटबॉल टीम को आज तक जगह नहीं मिल सकी है। जबकि फुटबॉल उत्तराखंड का राज्य खेल है। इस खेल पर सरकार के खास फोकस की जरूरत थी। लेकिन उत्तराखंड फुटबॉल ऐसोसिएशन की कारगुजारियां हर अब तक की हर सरकार नजरअंदाज करती रही है। राज्य में फुटबॉल खिलाड़ियों की कमी नहीं है। इसके बावजूद हालात ये है कि राज्य के प्रतिभाशाली खिलाड़ी बाहरी राज्यों की टीम से खेलने को मजबूर हैं।

भारतीय ओलंपिक संघ के नियमों के मुताबिक राष्ट्रीय खेलों में आठ टीमों को ही जगह मिलती है। जो खिलाड़ी या टीम पिछली राष्ट्रीय चैंपियनशिप की श्रेष्ठ 7 टीमों में शामिल हों, उन्हें राष्ट्रीय खेलों में जगह दी जाती है। जबकि आठवीं टीम मेजबान राज्य की होती है। अगर मेजबान राज्य भी पहले आठ स्थान में हो तो भी अन्य श्रेष्ठ सात टीमों को ही जगह मिलेगी। आनी नौवें स्थान या क्वार्टर फाइनल से नीचे कोई भी टीम या खिलाड़ी राष्ट्रीय खेलों में प्रतिभाग नहीं कर सकते।

उत्तराखंड की फुटबॉल टीम को आज तक राष्ट्रीय खेलों में प्रतिभाग करने का मौका नहीं मिला। जिसका सीधा कारण है कि फुटबॉल की प्रतिष्ठित नेशनल चैंपियनशिप संतोष ट्रॉफी में राज्य की टीम कभी क्वार्टर फाइनल तक नहीं पहुंच सकी है। जबकि 2004 से लगातार उत्तराखंड की टीम इस चैंपियनशिप में खेल रही है। संतोष ट्राफी में राज्य की टीम के प्रदर्शन पर नजर डालें तो साल 2013-14 और 2022-23 में राज्य की टीम ग्रुप स्टेज तक पहुंच सकी है। इसके अलावा कभी भी क्वालिफिकेशन राउंड से आगे नहीं बढ़ सकी।
इसके अलावा संतोष ट्रॉफी में उत्तराखंड की टीम अब तक कुल 56 मैच खेली है, जिनमें से 14 में उसे जीत मिली, 5 मैच ड्रॉ रहे और 37 मैचों में टीम को हार का सामना करना पड़ा। अब तक खेले गए कुल मैचों में टीम ने विपक्षी टीमों पर 57 गोल किये जबकि 144 गोल खाए हैं।

जिस राज्य ने भारतीय फुटबॉल को नेशनल टीम के लिये बेहतरीन फुटबॉल खिलाड़ी दिये हों, उसके लिये ये आंकड़े निराश करने वाले ही कहे जाएंगे। हाल ही में भारतीय फुटबॉल इतिहास का सबसे महंगा खिलाड़ी अनिरूद्ध थापा उत्तराखंड से ही है। उससे पहले कई ऐसे नाम हैं जिन्होंने अपने दमदार खेल से देश की टीम में जगह बनाई। लेकिन इसके लिये उन्हें दूसरे राज्यों का रूख करना पड़ा। इस बार भी संतोष ट्रॉफी में दिल्ली समेत हरियाणा व हिमांचल की टीमों से उत्तराखंड के खिलाड़ी खेल रहे हैं। इसके अलावा देश के बड़े क्लबों समेत इंडियन आर्मी, ओनएनजीसी और पैरामिलिट्री की टीमों में उत्तराखंड के खिलाड़ियों ने खुद को साबित किया है।

उत्तराखंड के फुटबॉल पर खास निगाह रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार राजू गुसांई के मुताबिक अगर राज्य फुटबॉल ऐसोसिएशन का रवैया ऐसा ही रहा तो, भविष्य में हालात नहीं बदलने वाले। इसके लिये सरकार को ही पहल करनी होगी और ऐसोसिएशन की मनमानी को रोकते हुए राज्य खेल की बेहतरी के लिये जरूरी कदम उठाने होंगे, प्रतिभाओं का पलायन रोकना होगा, तभी उत्तराखंड को फुटबॉल का पावर हाउस बनाया जा सकता है।

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