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गंगा के बिना तो बिस्मिल्लाह ख़ान की शहनाई के सुर भी अधूरे थे

(विचार )
16 जून को एक वीडियो वायरल होता है, हरिद्वार में गंगा तट पर एक मुस्लिम परिवार बैठा है, बस कुछ ठीक ठाक चल रहा था। इन दिनों छुट्टियों के चलते और तपती गर्मी से राहत पाने लोग हरिद्वार गंगा तट तक खींचे चले आते हैं। एक मुस्लिम परिवार भी गंगा तट पर बैठा था तभी एक युवक आता है और उन्हें गंगा तट से हट जाने को कहता है। वह कहता है कि गंगा तट पर सिर्फ हिंदु आ सकते हैं, और हिंदुओं के अलावा किसी को गंगा तट पर आने की इजाजत नहीं है। मुस्लिम युवक कहता है कि वह स्थानीय है और हर की पैड़ी में गाड़ी चलाता है लेकिन उन्हें भगा रहा युवा उन्हें हर हाल में गेट से बाहर जाने को कहता है। यह वीडियो बीते दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ।
गंगा तट पर मुस्लिमों को आना चाहिए या नहीं इस पर बहस छिड़ गई। कट्टरपंथी हिंदु संगठनों से जुड़े लोगांे ने मुस्लिम परिवार को भगा रहे युवा का समर्थन किया जबकि अन्य लोगों इस वीडियो में मुस्लिम परिवार को भगा रहे युवा की खूब भर्त्सना की।
शायद धर्म के नशे में चूर वह युवा नहीं जानता था कि हिमालय से निकलने वाली गंगा नदी इस देश का मान दुनिया भर में बढ़ाने वाले, भारत रत्न बिस्मिल्लाह खान को प्रेरणा देती है। बिस्मिल्लाह खान जब तक जिंदा रहे, उनकी सुबह गंगा नदी में स्नान करने से शुरू होती और फिर शहनाई के रियाज में वह डूबे रहते। शहनाई उस्ताद बिस्मिल्लाह खान वह शख्सियत थे जिनकी शहनाई की धुन के साथ पूरे भारत ने आजाद भारत की नई सुबह देखी थी।
1947 में जब भारत आज़ाद होने को हुआ जो जवाहरलाल नेहरू का मन हुआ कि इस मौके पर बिस्मिल्लाह खां शहनाई बजाएं। स्वतंत्रता दिवस समारोह का इंतजाम देख रहे संयुक्त सचिव बदरुद्दीन तैयबजी को ये जिम्मेदारी दी गई कि वो बिस्मिल्लाह खान दिल्ली आने के लिए आमंत्रित करें। बिस्मिल्लाह खान उस समय मुंबई में थे, उन्हें हवाई जहाज से तत्काल दिल्ली लाया गया और सुजान सिंह पार्क में राजकीय अतिथि के तौर पर ठहराया गया। बिस्मिल्लाह खान भारत के इस खास मौके पर शहनाई बजाने का मौका मिलने पर उत्साहित जरूर थे, लेकिन उन्होंने पंडित नेहरू से कहा कि वो लाल किले पर चलते हुए शहनाई नहीं बजा पाएंगे। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उनसे कहा कि आप लाल किले पर एक साधारण कलाकार की तरह नहीं चलेंगे बल्कि आप आगे चलेंगे और आपके पीछे मैं और पूरा देश चलेगा। बिस्मिल्लाह खान और उनके साथियों ने राग काफी बजा कर आजादी की उस सुबह का इस्तकबाल किया। 1997 में जब आजादी की पचासवीं सालगिरह मनाई गई तो बिस्मिल्लाह खान को लाल किले की प्राचीर से शहनाई बजाने के लिए फिर आमंत्रित किया गया।
बिस्मिल्लाह खान बनारस के बालाजी मंदिर के बगल वाले कमरे में सुबह साढ़े तीन बजे से रियाज़ करना शुरू कर देते थे। इससे पहले वह गंगा स्नान करने गंगा तट के लिए उतरते। गंगा से बालाजी मंदिर तक वो 508 सीढ़ियाँ चढ़ कर जाते थे।
गंगा नदी से उन्हें कितना स्नेह था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब बॉलीवुड स्थापित हो रहा था और संगीत के इस महारथी को मुंबई अपना ठिकाने बनाने के लिए हर कोई जोर लगा रहा था तो बिस्मिल्लाह खान ने मुंबई में अपना ठिकाना बनाने से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि ‘अमा यार मुंबई हमें ले तो जाओगे, लेकिन वहां गंगा कहां से लाओगे।’
गंगा नदी दुनिया में सबसे बड़े कृषि क्षेत्र को सींचती है, माना जाए तो देश जो अन्न खा रहा है उसका बड़ा हिस्सा गंगा नदी के पानी से होने वाली सिंचाई से उगता है। आईआईटी कानपुर की एक रिपोर्ट की माने तो गंगा नदी से देश भर में करीब 3,61,100 वर्ग किमी लंबे क्षेत्र में फैली कृषि भूमि सिंचित होती है जो पूरे देश में कृषि योग्य भूमि का तकरीबन 58 फीसदी है यानि आधे से अधिक भारत की कृषि भूमि को अकेले गंगा नदी से ही सिंचाई के लिए पानी मिल रहा है। यह खेत सिर्फ हिंदुओं के नहीं है, गंगा नदी का पानी सिर्फ हिंदुओं के खेतों को नहीं सींच रहा बल्कि वह पानी हर धर्म, हर जाति, हर समुदाय, हर वर्ग, हर लिंग की कृषि योग्य भूमि को उपजाऊ बना रहा है।
हरिद्वार में जो हुआ वह बेहद शर्मनाक था। हालांकि, पुलिस ने वीडियो में मुस्लिम परिवार को धमका रहे युवक को थाने लाकर उसकी काउंसिलिंग कर उसे अगली बार इस तरह का कृत्य न करने की चेतावनी दी और छोड़ दिया। लेकिन, इस वीडियो के बाद लगातार हिंदु मुस्लिम के बीच नफरत फैलाने के लिए कुख्यात एक कथित न्यूज चैनल सुदर्शन न्यूज के एक पत्रकार ने भी बुधवार सुबह हरिद्वार गंगा घाट तक खड़े होकर एक वीडियो बनाया जिसमें मुस्लिमों को गंगा तटों से दूर रहने की चेतावनी दी गई।

 

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